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देवेन्द्रयादव के बारे में

किसी व्यक्ति की पहेचान उसके आपके प्रति कुसलता से नहीं होती अपितु लोगो की उसके प्रति कुसलता से होती है !

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देवेन्द्रयादव के लेख

देवल आशीष की जीवनपर्यन्त याद की जाने वाली रचना इस प्रेम दिवस पर ...... !

14 फरवरी 2017
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प्रिये तुम्हारी सुधि को मैंने यूँ भी अक्सर चूम लियातुम पर गीत लिखा फिर उसका अक्षर-अक्षर चूम लियामैं क्या जानूँ मंदिर-मस्जिद, गिरिजा या गुरुद्वाराजिन पर पहली बार दिखा था अल्हड़ रूप तुम्हारामैंने उन पावन राहों का पत्थर-पत्थर चूम लियातुम पर गीत लिखा फिर उसका अक्षर-अक्षर चूम लियाहम-तुम उतनी दूर- धरा से

हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें....!

30 अक्टूबर 2015
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हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हेंकितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हेंजिस पल हल्दी लेपी होगी तन पर माँ नेजिस पल सखियों ने सौंपी होंगीं सौगातेंढोलक की थापों में, घुँघरू की रुनझुन मेंघुल कर फैली होंगीं घर में प्यारी बातेंउस पल मीठी-सी धुनघर के आँगन में सुनरोये मन-चैसर पर हार कर तुम्हेंकितने एकाकी हैं प्यार कर

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