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गोपाल कृष्ण त्रिवेदी के बारे में

कवि, स्नातकोत्तर आई. आई. टी. खड़गपुर

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गोपाल कृष्ण त्रिवेदी की पुस्तकें

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स्वच्छंद विचारों की अभिव्यक्ति

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गोपाल कृष्ण त्रिवेदी के लेख

"सामान"

23 नवम्बर 2020
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मेरी एकादशोत्तरशत काव्य रचना (My One Hundred eleventh Poem)"सामान"“घर-घर सामान भरा पड़ा हैहद से ज्यादा भरा पड़ा हैखरीद-खरीद के बटुआ खालीखाली दिमाग में सामान भरा पड़ा है -१हर दूसरे दिन बाहर जाना हैनयी-नयी चीजें लाना हैजरूरत है एक सामान कीढोकर हजार सामान लाना है-२अपने घर में जो रखा हैउसकी खुशी न करना

पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या

20 अप्रैल 2020
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( पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या )"गुरु की मृत्यु का समाचार सुन शिष्यों का मन व्याकुल थाजीवन का पथ जो सिखा गए, अंतिम दर्शन को मन आकुल था ।लॉक डाउन में अनुमति लेकर, वृद्ध साधु गुरु के पास चलेसोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान किये, चालक के संग दो शिष्य चले ।गुरु की समाधि में पुष्प चढ़ाने भाव- विह्वल हो सफर

विजया दशमी

11 अक्टूबर 2016
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विजया दशमी के उपलक्ष पर लिखी रचना विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनायें .मेरी चतुर्नवतिः काव्य रचना (My Ninety-fourth Poem).“विजया दशमी”.“विजय मनाऊँ किसकी मैंराम की या रावण की गाथा किसकी गाऊँ मैंराम की या रावण कीराम पिता की आज्ञा से बिन महल चौदह वर्ष बितायेरावण ने बहुत तपस्या से जाने कितने स्वर्ण महल बन

दुर्दशा

10 अक्टूबर 2016
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मेरी त्रिनवतिः काव्य रचना (My Ninety-Third Poem) किसी ने दिल को तोड़ा है किसी ने रब को छोड़ा है यहाँ पर आधुनिक होकर अधिकतर ने माँ-बाप छोड़ा है किसी ने स्वार्थ हित आकर अपना घर-बार तोड़ा है किसी ने धन के मद में अपने संबन्धो से मुख मोड़ा है । . यहाँ पर धूर्त लोगों ने क

“मजदूर”

5 मई 2016
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मैं मजदूर हूँमजबूत हूँपरिश्रम की साख परबैठा हुआ देवदूत हूँ ..संघर्षों के बीच पैदा हुआसंघर्ष में ही पला-बढ़ा संघर्ष के अनुभवों से मेरा कण कण गढ़ा..हर रोज मिलता हूँ प्रकृति से संघर्ष करता हूँ उसके हठीले स्वभाव से और जीता हूँ स्वच्छंदता की साँस से ..मैं थकावट को वरण करस्वेद की गंगा मेंहिलोरे लेता हूँकभी

अंतर्द्वंद्व

13 नवम्बर 2015
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“मैं अन्तरतम् से बहूँ या बाहरके उद्गारों सेमैं सीधासा शांत दिखूँयाक्रोधाग्नि के ज्वालों से मैंदिग्दिशाओं में बिचरुँया हृदयके स्थिरपन से मैं पावनसा नीर बहूँयाहिमगिरि के स्रोतों से मैंआशाओं से भरा रहूँयानिराशाओं के बादल सेमैंपुष्पों के बीच खिलूँ या कंटकके भोलेपन से मैं एकही राह चलूँ या जियूँकई खयालों

मधुमय जीवन

6 नवम्बर 2015
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“मधुर मधुर मधुमय मेरा जीवनकैसेजग बतलाऊँ तुम्हें ?अन्तर्मनके स्वच्छंद प्रवाह को कैसेजग दिखलाऊँ तुम्हें ? स्वर्णभास्कर उदित हुये हैंविराटहृदय के प्रांगण मेंतीव्रप्रखर तेजोमय रवि का कैसेएहसास कराऊँ तुम्हें ?मधुरमधुर मधुमय मेरा जीवनकैसेजग बतलाऊँ तुम्हें ? कल-कलबहती नदियाँ सारी यौवनका उन्माद लिए औषधिपूरि

वोट

5 नवम्बर 2015
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वोट“वोट” एक ऐसा महानतमशब्द है जिसमें समस्त राजनीति का समावेश है इसी से राजनीति करने के अवसर उपलब्ध औरराजनीति का अंत भी इसी के द्वारा होता है और यहाँ तक कि वोट ही राजनीति की मूलसंरचना है |वोट ही राजनीति कामेरुदंड है |भारत के संविधान नेदेश के प्रत्येक व्यक्ति को एक निश्चित आयु को पूर्ण करने के बाद इसक

प्रचार

4 नवम्बर 2015
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11 वर्ष के अध्ययन रूपी विशाल वनवास के बाद मन के अन्त:करण में मनोरंजन देखने की ललक जाग्रत हुई जिस कारण कुछ दिन पहले एक LED TV �� खरीदा फिर क्या था HD वीडियो का लुत्फ़ उठाने लगा । काफी अच्छा लगता था लेकिन जब Advertisement देखते तो दिमाग ठनक जाता क्योंकि एक तरफ प्रधानमंत्री जी 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का

प्रश्न

4 नवम्बर 2015
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“प्रश्न” “आज ये नृशंस क्यों ?धरती का विध्वंश क्यों ?टूटता ये अंश क्यों ?व्यक्ति में ये दंश क्यों ?बिखरते ये वंश क्यों ? काँपता ये विश्व क्यों ?भटकता मनुष्य क्यों ?जीव में उन्माद क्यों ?हर मन उद्विग्न क्यों ?जन-जन विक्षिप्त क्यों ? जीवों का विनाश क्यों ?मनुष्यता का नाश क्यों ?मानवता का ह्रास क्यों ?क

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