shabd-logo

विजय कनौजिया के बारे में

सात्विक

no-certificate
अभी तक कोई सर्टिफिकेट नहीं मिला है|

विजय कनौजिया की पुस्तकें

विजय कनौजिया के लेख

जिन्दगी के मोड़ पर

24 अगस्त 2018
0
0

जिन्दगी के मोड़ पर""""""""""""""""""जिन्दगी के किसी भीमोड़ परजब हों कदमडगमग कभी तुम व्यथितहोना नहीं रुकना नहींथकना नहींहोगा सहज फिरपथ तुम्हाराजिन्दगी के मोड़ पर ।।साथ जब भी हैं तुम्हारेधैर्य और साहस हमेशाहै निरंतर चाह जब तकमंजिल मिलनाहै सुनिश्चितहृदय पथ होगामनोरम जिन्दगी के मोड़ पर ।जिन्दगी के मोड़ पर ।।

हाथों से हाथ मिलाये रखना

22 जुलाई 2018
0
0

नेह का ये स्नेहिल बंधनयूँ ही सदा बनाये रखनासाथ बिताये हर्ष को यूं हीदिल में सदा बसाये रखनाअब तक जो सम्मान दिया हैहोठों पर मुस्कान दिया हैसदा निरंतर बना रहे येमुझको जो अभिमान दिया हैजीवन के हर पल में यूँ हीअपना साथ बनाये रखनापलकों में जो ख़्वाब सजे हैंओ एहसास जगाये रखनान हो कोई विरह वेदनाये विश्वास बन

जीवन का हर पल रंग दूँ

30 जून 2018
2
2

तुम जो कह दो अर्पित कर दूंभाव मेरे मन मेंजो है तुम जो कह दोबतला दूं मैंचाह मेरे मन मेंजो है..।।सपना भी सचहो जाएगासाथ अगर अपनादे दोतुम जो कह दोलिख दूँ तुमकोजीवन का अपनाहर पल..।।तुम जो कह दोसंबंधों कीनई पृष्टभूमिलिख दूँअगर हाथ मेराथामो तुमजीवन का हरपल रंग दूँ..।।:::::विजय कनौजिया:::::        ९८१८८८४७०

प्रेम के बंधन में हम तो बंध गए

30 जून 2018
1
3

प्रेम के बंधन में हम तो बंध गएचाहतों के सिलसिले में खो गएजो न सोचा था कभी अपने लिएउन ख़यालों में उलझ कर रह गएनींद भी आती नहीं अब रात भरकरवटों में हम सिमट कर रह गए..।।क्या यही है प्रेम ऋतु की संरचनाहम इसी ऋतु के दीवाने हो गएप्रेम ही अब, प्रेम ही है जिंदगीप्रेम पथ पर साथ तुम रहना सदाज़िन्दगी से दूर अब ज

बस सिसकी है बाकी

8 जून 2018
1
2

धड़कनें भी अब सुस्त सीहोने लगी हैंउस चिर-परिचित आहटकी प्रतीक्षा मेंजिसे सुनते ही तेज होजातीं थी धड़कनेंउमंगें भी चहचहानेलगतीं थींमधुर स्मृतियाँ भीहोठों पर गीत बनकरगुनगुनाने लगती थींपर आज तो बस नम हैं आँखें रुंधे गले में बस सिसकी है बाकीबस सिसकी है बाकी...।।विजय कनौजिया९८१८८८४७०१

अब तुम्हारे बिन रहा जाता नहीं

26 मई 2018
0
0

हो सके तो लौट आओ तुम प्रियअब तुम्हारे बिन रहा जाता नहींहाल भी बेहाल सा होने लगा हैतुम बिना अब तो जिया जाता नहीं...।जिंदगी का पथ भी अब सूना पड़ासहपथिक के रूप में तुम भी नहीं होमैं भी अब हारा थका सा बैठकरतुम्हारे आने की प्रतीक्षा कर रहा हूँहो सके तो लौट आओ तुम प्रियअब तुम्हारे बिन रहा जाता नहीं...।उन अ

हमने तो बस प्रीति निभाई

24 अप्रैल 2018
0
1

हमने तो बस प्रीति निभाईसंबंधों की नीति निभाईस्वार्थ भरी इस दुनिया मे भीहमने मन की रीति निभाईजीवन की इस पगडंडी परमैंने सच्ची प्रीति निभाई ...।।जब भी तुमको अपना मानातुमने मुझको किया बेगानाजब चाहा अपनाया मुझकोजब चाहा ठुकराया मुझकोमेरी निर्मल प्रेम रीति मेंतुमने तो राजनीति दिखाईहमने तो बस प्रीति निभाई..

मलाल किससे करूँ ?

17 अप्रैल 2018
0
0

अब तो मलाल भी इस बात का हैकि मलाल किससे करूं ?जब कोई साथ नहीं हैअपना कहने वाला !अब तो रूठूँ तो रूठूँ किससे ?जब कोई पास नही है मनाने वाला !अब तो इस बात पर रोना चाहूं भी तो रोऊँ कैसे ?जब कोई पास नही हैरुलाने वाला !अब तो साथ निभाना चाहूं भीतो निभाऊं कैसे ?जब कोई साथ नहीं हैनिभाने वाला !अब तो मलाल भी इस

ख़यालात बने रहते हैं

16 अप्रैल 2018
0
0

अब तो ख़यालों पर भीकुछ बंदिशों का पहरा हैकुछ ख़यालात कोछुप-छुप कर याद करते हैं ।जो ख़यालों में दिनों रात बने रहते थेवो तो अब ख़्याल में भीआने से कतराते हैं ।ज़िन्दगी ने कुछ इस तरहहालात बना डाला हैअब तो ख़यालात कीबातों से डरा करते हैं ।उन्हें तो इस बात का ख़यालभी नहीं शायद कि वही ख़यालों के ख़यालात बने रहते ह

प्रेम अगर है अनबन कैसी

14 अप्रैल 2018
3
6

उलझन ये है उलझन कैसी ?प्रेम अगर है अनबन कैसी ?तुम जब मेरे साथ चले थेरस्ते में फिर ये दूरी कैसी ?तुमने तो थीं कसमें खाईसाथ जियेंगे साथ मरेंगेमिलने की जब घड़ी है आयीफिर मन मे ये उलझन कैसी ?शायद तुम भी बदल गये होसमय के इन हालातों सेफिर भी अब भी सोच में डूबेन जाने ये सोच है कैसी ?अंतर्मन के कोने में अब भ

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए