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अशोक कुमार शुक्ला के बारे में

अशोक कुमार शुक्ला

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अशोक कुमार शुक्ला की पुस्तकें

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कोलाहल से दूर

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अशोक कुमार शुक्ला के लेख

गऊ माता की जय हो...

3 अप्रैल 2017
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किस्सा कुछ यूँ है की हमारी दादी बहुत बड़ी गौ भक्त थी। बाबा को दान में कही एक बछिया मिली तो दादी ने गंगा मैया के नाम पर उसका भी नाम नाम रख दिया गंगा...! ..हां तो दादी जी के सेवा सत्कार से ये गंगा मैया खूब फली फूलीं... यमुना, कावेरी, गोदावरी नाम की कई गैया हो गयी लेकिन दादी की गऊ भक्ति में कोई कमी नही

(सफ़र-ऐ-जिंदगी-३९-बिच्छु घास का पाठ)

12 सितम्बर 2016
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इस सफ़र के पिछले सात एपिसोड यात्रा का अनुशासन तोड़कर जैसे बीच में कूद कर आ गए थे सो आज पुनः उन्हें अनुशासन का पाठ याद दिलाते हुए उसी पौड़ी गढ़वाल पहुंचता हूँ जहाँ इल्ली "आइस-बाइस" खेल के असली नाम "आई स्पाई" सीखा था। यह तस्वीर पौड़ी के बस स्ट

गुलजार साहब ८२ वर्ष के

6 सितम्बर 2016
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आज जबगुलजार साहब 82 वर्ष के हो चुकेहैं तोभी उनकी गजलें पुरजवां यानि 28 वर्ष की ही हैं । उन्होंने हिंदी कविता में में एक नई विधा "त्रिवेणी" जोड़ी है जिसके विकास में भी उन्हें 28 वर्ष का समय लगा। त्रिवेणी एक तीन पंक्तियों वाली कविता है, यह माना जाता है कि इस विधा को गुलज़ार

(सफ़र-ऐ-जिन्दगी-19-मेरे सामजिक सरोकार)

18 फरवरी 2016
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छोटी बहन "बेबी" ने हमारे परिवार में आकर हम दोनों भाइयो के लिए एक खिलौना जैसा दिला दिया था। स्कूल से छुट्टी होने के तुरंत बाद हम घर पहुँच कर पलंग पर लेटी उस नन्ही मुन्नी को दुलारा करते थे। कई बार हम दोनों अपने घर पर मोहल्ले भर के बच्चों का जमावड़ा लगा देते। बचपन के उन दोस्तों में से कुछ के नाम आज भी य

सफ़र-ऐ-जिन्दगी-11-मीठा वाला साबुन

8 फरवरी 2016
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आज मौनी अमावस्या है। कल रात बिस्तर में जाने से पहले ही मांजी ने याद दिला दिया था कि"सुबह चार बजे उठ कर पहले पानी में गंगाजल और तिल डाल कर नहा लेना उसके बाद ही कुछ बोलना यानी नहाने तक मौन रहना है"नहाने का पानी गर्म हो ले इतनी देर में बचपन में नहाने का वो दौर याद आ गया जब टीका लगे दो चार दिन और बीते ह

सफ़र-ऐ-जिन्दगी--स्कूल में दाखिला

5 फरवरी 2016
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(फ़ालतू की बाते मत करना)अब की पीढ़ी तो बहुत छोटी उम्र में ही प्रेप और नर्सरी में दाखिल हो जाती है और कुछ एक साल के बाद ही प्राइमरी शिक्षा तक पहुँच पाती है इसलिए शायद ही कोई हो जिसे वो दिन याद रहे जब वो पहली बार स्कूल गए हो ....लेकिन उस जमाने में पांच साल से पहले किसी बालक को स्कूल भेजने के बारे में

सफ़र-ऐ-जिन्दगी-7-पिता का जाना

4 फरवरी 2016
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4 फरवरी मैं कभी नहीं भूल सकता क्योकि यही वो रात है जब ठीक चार साल पहले रात के तीसरे पहर यानी लगभग तीन बजे मेरे मोबाइल की घंटी बजी थी।इस घंटी ने मुझे गहरी नींद में जगा दिया था .....देखा मेरे छोटे भाई मनोज का फोन था.....मुझे याद आया.... दो या तीन दिन पहले मनोज से बात हुई थी तो यह बताया था की वो माजी औ

सफर-ऐ-जिंदगी-१

1 फरवरी 2016
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मेरी छोटी बहिनकी पुत्री आयु0 पूर्तिश्री के विगत जन्मोत्सव के अवसर पर मेरे माता तथा पिता आयु0 पूर्तिश्रीको आर्शिवाद देने के लिये उपस्थित थे। बच्चों के द्वारा केक काटने की जिद और संस्कारोकी सामान्य रूढियों के सामंजस्य के अनुरूप केक भी लाया गया और पिताजी तथा मांजी केद्वारा आयु0 पूर्तिश्री को रोली अक्षत

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