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जेपी हंस के बारे में

माँ भारती के सच्चा सपूत।

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जेपी हंस की पुस्तकें

जेपी हंस के लेख

पद, पैरवी और पुरस्कार

24 दिसम्बर 2017
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पद, पैरवी और पुरस्कार काआपस में घनिष्ठ नाता है । पद की प्रतिष्ठा होती है इसलिए पद की लालसा में मनुष्यपैरवी करने से गुरेज नहीं करता पर पैरवी के लिए पैसे की जरूरत होती है अन्यथा किसीमंत्री-संत्री से पैरवी में पैसे के बदले में कुछ खातिरदारी कर पद प्राप्त किया जासकता है । यह खातिरदारी किस रूप मे

हिंदी भाषा का इतिहास और विकास

15 सितम्बर 2016
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हिन्दी मूलतः फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है- हिन्दी का या हिंद से सम्बन्धित । हिन्दी शब्द की उत्पति सिन्धु-सिंध से हुई है, क्योंकि ईरानी भाषा में ‘स’ को ‘ह’ बोला जाता है । इस प्रकार हिन्दी शब्द वास्तव में सिन्धु शब्द का प्रतिरूप है । कालांतर में हिंद शब्द सम्पूर्ण भारत का पर्याय बनकर उभरा । इस

हिंदी से जुड़ी रोचक बातें ।

15 सितम्बर 2016
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1. हिंदी की लिपि ‘देवनागरी’ है । यह दो भिन्न शब्दों से बना समस्त पद है । ‘देव’ अर्थात ईश्वर तथा ‘नागरी’ अर्थात नगर अथवा शहर से संबंधित । इस शब्द की व्युत्पति यह बताती है कि एक काल विशेष में यह लिपि एक मुख्य व्यवहार के लिए प्रयुक्त हुई होगी । 2. वेद, पुराण आदि कई हिंदू धर

हिन्दी हूँ मैं....

12 सितम्बर 2016
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“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल.” उपरोक्तपंक्तियाँ भारतेंदु हरिश्चंद ने हिंदी के बारे में वैसे समय में लिखी, जब उन्हेंलगा कि अब हिंदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है । इसी खतरे को भांपते हुएउतरोत्तर समय में 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने ए

मानव मस्तिष्क से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

10 अगस्त 2016
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समाज में ऐसे व्यक्तित्व का विकास करना जो समतामूलक स्वस्थ समाज की रचना के लिए अति आवश्यक हैं । ऐसे व्यक्ति ही अपनी संकीर्ण सीमा से ऊपर उठकर समाज, देश और विश्व स्तर पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं । ऐसे व्यक्तियों की स्मृति जितनी अच्छी होगी उतनी ही ज्ञान ग्रहण करने की क्षमती बढ़ जाएगी । जितना ज्ञान होगा,

मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले

29 जुलाई 2016
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मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहलेमुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले,मैं तुम्हीं को ढूँढता था, इस जिन्दगी से पहले,मैं खाक का जरा था और क्या थी मेरी हस्ती,मैं थपेड़े खा रहा था ,जैसे तूफाँ में किश्ती,दर-दर भटक रहा था, तेरी बंदगी से पहले,मैं इस तरह जहाँ में, जैसे खाली सीप होती,मेरी बढ़ गयी है कीम

हमारा नया वर्ष आया है।

31 मार्च 2016
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आत्मीयता का विश्वास लेकर ।मधुरता का पैगाम लेकर ।दरिद्रता का अन्न लेकर ।आज धरा पर आया है ।हमारा नया वर्ष आया है ।            नवजीवन में मुस्कुराहट लेकर ।            खिले मन सा सुमन लेकर ।            वनिता का सिंदूर लेकर ।            भाई-भाई का प्रेम लेकर ।            आज धरा पर आया है ।            हमा

हमारा नया वर्ष आया है।

23 मार्च 2016
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हमारा नया वर्ष आया है।

23 मार्च 2016
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आत्मीयता का विश्वास लेकर ।मधुरता का पैगाम लेकर ।दरिद्रता का अन्न लेकर ।आज धरा पर आया है ।हमारा नया वर्ष आया है ।            नवजीवन में मुस्कुराहट लेकर ।            खिले मन सा सुमन लेकर ।            वनिता का सिंदूर लेकर ।            भाई-भाई का प्रेम लेकर ।            आज धरा पर आया है ।            हमा

होली आई रे होली आई।

20 मार्च 2016
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होली आई रे होली आई ।पहला होली उनका संग मनाई।जो गिर पड़े है पउआ चढ़ाई।पकड़ के उनका ऐसा नली मे गिराई।जिसका गंध कोई न सह पाई।होली आई रे होली आई ।दूजे होली उनका संग मनाई।जो फ़ूहड़ फ़ूहड़ दिन-रात गाना बजाई।बहू-बेटी देखकर सीटी बजाई।पकड़ के उनका ऐसा बंदर बनाई।जिसका रूप मां-बाप न पहचान पाई।होली आई रे होली आई ।तीजे

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