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दिनेश पारीक के बारे में

पेशे से अकाउंटेंट हूँ लेकिन थोडा लिखने पढ़ने का शौक है इसलिए ब्लॉगिंग करता हूँ उम्मीद है यहाँ कुछ नए मित्र मिलेगे ।,पेशे से अकाउंटेंट हूँ लेकिन थोडा लिखने पढ़ने का शौक है इसलिए ब्लॉगिंग करता हूँ उम्मीद है यहाँ कुछ नए मित्र मिलेगे ।

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दिनेश पारीक की पुस्तकें

दिनेश पारीक के लेख

तुमने शब्द पढ़े है ! लेकिन महसूस किया है कभी ? ~ Ignored Post | Top Intereating Post

18 अक्टूबर 2016
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शब्द ों को पढ़ा है तुमने! बोला है! महसूस किया है क्या कभी ?किसी शब्द की गर्दन पर उंगली रख कर सहलाया है कभी?किसी शब्द के सीने पर कान लगाकर धडकनें सुनी है उसकी? तुम कहोगे एक शब्द की इतनी हस्ती ही नहीं! शब्द

यादों का झरोखा

4 अक्टूबर 2016
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आज की कहानी है लिखी है Shivendra Shukla जी ने ! और जबरदस्त लिखी है बस आराम से पढ़िए कहानी के अंत तक ! रिश्ता हमारा हमेशा से मजबूत था । चाय के बहाने ही सही , छुप छुप के घर उसके हम हो ही आते थे ।हमसे उम्र में बड़ी होने के कारण खुद को ज्यादा ब

परीक्षा परिणाम से पहले एक पिता का अपने पुत्र के लिए एक पत्र

28 मई 2016
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एग्जाम के रिजल्ट्स आने लगे है, बच्चों की मेहनत परिणाम....!कही ख़ुशी,कही गम....!!कही मायूसी तो कही खुशियाँ।ऐसे में एक पिता का उसके पुत्र के लिए एक चिट्टी... वो चिट्टी जिसमे पिता ने वो सारी बाते लिखी जो वो अपने बेटे को कहना तो चाहता था पर कभी कह नही पाया।‪डिअर बेटा,तुम्हारी मम्मी से पता चला कि कल तुम्

Real Love Story in Hindi- मुस्कराने की वजह तुम हो

19 मई 2016
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वो बार बार आपने केबिन से ऑफिस की एन्ट्रेंस की ओर देख रहा था ,, तलाश रहा था किसी को या फिर शायद इन्तजार था उसे किसी का ...प्रताप नाम था उसका ,, मैनेजर के पद पर कार्यरत था वो उस कम्पनी में ,,और उसी कम्पनी में कार्यरत थी वो ,,,,संगीता ,,,सांवली किन्तु सुन्दर नैन नख्श वाली एक लड़की !रंग सांवला होने के ब

एक प्रेम कहानी : ये कैसी महोब्बत

18 मई 2016
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यात्रा वृतांत: एक बारात की मजेदार यात्रा

5 मई 2016
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यात्रा वृतांत: एक बारात की मजेदार यात्रा - Ignored Post | Top Interesting Post---जब लगन चरम पर हो और ठाला भी चरम पर हो तो पुरे सीजन में एक बारात भी करने को मिल जाए तो नरक कट जाता है और ये मलाल भी नहीं रहता की, इस सीजन में एक बारात तक नहीं मिली | कल बिल्कुल यही परिस्थिति थी | कल इस जानलेवा ठाले के दौ

Labour Day Special: एक मजदूर होने का दर्द

3 मई 2016
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करीब 7 साल पहले की बात है उस कम्पनी में ज्वाइन किये हुए मुझे 3 हफ्ते ही हुए थे अपने लैब में बैठा कुछ पुरानी रिपोर्ट्स देख रहा था कि अचानक से दरवाजे पर दस्तक हुई और एक दुबले पतले लड़के ने अंदर झांकते हुए पूछा नमस्ते सर क्या मै अंदर आ सकता हू

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