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रजनीश 'शब्दभेदी' के बारे में

खाइयों में गहराईयाँ, नदियों में धारायेँ, सागर में लहरेँ और आसमान में बादल सीमित हो सकते हैँ लेकिन..लेकिन मैँ कभी नहीँ क्यूँकी मै सख्स हूँ खुले आसमान सा असीमित !

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रजनीश 'शब्दभेदी' की पुस्तकें

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अदना सा कवि, तुच्छ लेखक, निराधार

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<p style="line-height: 18.5714px;"><span style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: Georgia, Utopia, 'Palatino Linotype', Palatino, serif; font-size: 14px; line-height: 19.6px; background-color: rgb(255, 249, 238);">अदना सा कवि, तुच्छ लेखक, निराधार

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रजनीश 'शब्दभेदी' के लेख

इस्तीफा पत्र

4 जनवरी 2017
6
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मंजूर कर दो इस्तीफा मेरा,हुस्नपरस्ती की चाकरी सेअच्छी तो खूब लगती है,पर अब होती नहीं मुझसे !.और ले जाओ ये पुलिंदाकागजात का, जिसमेंलिखा है सारा हिसाबतेरा-मेरा और हमारा का !.खून-ए-दिल से भरीये दवात भी ले जाओजो एक भी हर्फ़ नहींलिखती किसी और को !.और हिसाब कर दो पूरा मेरे मेहनताने का,बची-खुची मेरी ज़िंदगीम

कर्तव्य से अधिकार !

15 मई 2016
3
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       आन्दोलन का अर्थ होता है अधिकारों की लडाई । माने की अपने  हक़ को पाने  की लड़ाई । परिवर्तनशील होना किसी लोकतान्त्रिक राष्ट्र की प्रकृति है और किसी भी परिवर्तनशील राष्ट्र में हुए बड़े से बड़े परिवर्तनों में आंदोलनों की भूमिका अहम होती है। जन-जन का हक़ और स्वतंत्रता ही लोकतंत्र की वैचारिक मजबूती है,

'मतभेद होना चाहिए मनभेद नही'

15 मई 2016
2
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           मेरा एक अन्तरंग मित्र और मैं अक्सर इस बात पे घंटों बहस करते हैं कि हमारी सोच बिलकुल भिन्न है फिर भी हम इतने दिनों से साथ कैसे है ?? घंटों की बहस के बाद हर बार निष्कर्ष निकलता है 'मतभेद होना चाहिए मनभेद नही'। सच है अक्सर ऐसा होता हैं कि वैचारिक मतभेद होने पर लोग मनभेद स्वतः पैदा कर व्यक्ति

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