shabd-logo

गिरीश पंकज के बारे में

साहित्य- पत्रकारिता में चार दशकों से. आठ उपन्यास, 23 व्यंग्य संग्रह समेत 80 पुस्तकें. व्यंग्य, गीत-ग़ज़ल, लघुकथा और सामयिक लेखन.

no-certificate
अभी तक कोई सर्टिफिकेट नहीं मिला है|

गिरीश पंकज की पुस्तकें

girishpankajkevyangya

girishpankajkevyangya

<p cla

0 पाठक
1 रचनाएँ

निःशुल्क

girishpankajkevyangya

girishpankajkevyangya

<h3 class="post-title entry-title" itemprop="name" style="font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; line-height: normal; color: rgb(34, 34, 34); margin-top: 0.75em; font-size: 22px; position: relative; font-stretch: normal;"><p cla

0 पाठक
1 रचनाएँ

निःशुल्क

laghukathae

laghukathae

अहसास <br style="color: rgb(29, 33, 41); font-family: helvetica, arial, sans-serif;

0 पाठक
0 रचनाएँ

निःशुल्क

laghukathae

laghukathae

<p style="line-height: 18.5714px;"><span style="color: rgb(29, 33, 41); font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">अहसास&nbsp;</span><br style="color: rgb(29, 33, 41); font-family: helvetica, arial, sans-serif;

0 पाठक
0 रचनाएँ

निःशुल्क

geetgazal

geetgazal

</st

0 पाठक
3 रचनाएँ

निःशुल्क

geetgazal

geetgazal

<br><p class="text_exposed_show" style="display: inline; color: rgb(29, 33, 41); font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;"><strong><strong><strong><strong><strong><strong><b></b></strong></strong></strong></st

0 पाठक
3 रचनाएँ

निःशुल्क

गिरीश पंकज के लेख

गीत/ कश्मीर हमारा है.

5 अगस्त 2019
1
1

(कश्मीर से धारा 370 हटाने का संकल्प संसद में पेश होने के बाद उम्मीद जगी है कि अलगाववादी ताकतें खत्म होंगी। कश्मीर में अन्य भारतीय भी बस सकेंगे।) कश्मीर हमारा था, अब तो कश्मीर हमारा है।जिसमें हो विजयीभाव भला, वो कब क्यूँ हारा है।।बहुत दिनों तक बंदी था, यह स्वर्ग हुआ आजाद।नये दौर के इस भारत को लोग क

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती (23 जुलाई) पर विशेष

23 जुलाई 2019
4
5

पत्रकारिता के माथे का वह पवित्र 'तिलक'गिरीश पंकजलोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को साधारण लोग इसलिए याद करते हैं कि उन्होंने गणेश उत्सव की शुरुआत की थी । यह उनका छोटा- सा परिचय है। तिलक जी तो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की ऐसी अद्भुत कड़ी हैं, जिसके बिना हम उस इतिहास की कल्पना ही नहीं कर सकते। तिलकज

ग़ज़ल

20 जुलाई 2019
5
2

फूलों की बात कीजिए कांटे निकाल करदो शब्द भी कहें पर उनको संभाल करअपनी ही राह पर चलें ये काम है सहीक्या मिल सका किसी की पगड़ी उछाल करअपनी लकीर को यहाँ लम्बी रखो सदाओ रे मनुज हमेशा तू ये कमाल करयह ज़िन्दगी हमें कब चल देगी छोड़ करसच्चाई है यही तू थोडा खयाल करहो काम न अच्छा तो पूछे नही कोईहोता है किसका ना

ईद मुबारक

26 जून 2017
3
2

 खुशहाल रहे आपका दर ईद मुबारक "कहती है ये खुशियों की सहर ईद मुबारक"हिद्दत सही रमजान में दय्यान के लिए महका रहा है तुमको इतर ईद मुबारक (दय्यान - स्वर्ग का वो दरवाज़ा जो रोजेदारों के लिए खुलता है) तुमको नहीं देखा है ज़माने से दोस्तो इस बार तो आना मेरे घर ईद मुबारक अल्लाह ने बख्शी है हमें एक ये नेमत मि

ग़ज़ल

15 फरवरी 2017
2
0

 स्वार्थ का संसार बन के रह गया है प्यार इक व्यापर बन के रह गया है ज़ेब जब तक गर्म है तो प्यार है जी बस यही इक सार बन के रह गया है प्यार पूजा से नहीं कम किन्तु अब वो जिस्म का बाजार बन के रह गया है वायदे औ छल छिपे दिखते नहीं वे प्यार क्या हथियार बन के रह गया है प्यार क्या ह

ग़ज़ल

18 जनवरी 2017
2
0

खतरा तनिक उठाना होगा सच का साथ निभाना होगाअगर किया है दिल से वादा कर के उसे दिखाना होगाआ भी जाओ अब तो साथी कितना रोज बहाना होगा राजनीति का खेल अनोखाठगना और ठगाना होगामुफ्तखोर क्यों बनना साथी मेहनत करके पान

एक गीत सैनिकों के लिए

26 अक्टूबर 2016
4
2

( देश में अच्छा वातावरण बन रहा है कि जहां कहीं सैनिक दिखें, उन के प्रति हम सम्मान दिखाएं। दिवाली पर उन्हें सन्देश भी भेजें। यह कार्य शुरू से होना था, पर जब जागें, तभी सवेरा. एक गीत मेरा भी समर्पित उनको । ये गीत उन तक पहुंचेगा, यही विश्वास है।) सीमा पर जो डटे हुए हैं, इस धरती के अदभुत लाल। य

सामयिक परिवेश में दो कविताएं

24 सितम्बर 2016
0
1

1 अगर प्यार दिखलाए कोई अपना प्यार जरूरी है मगर करे शैतानी तो उसका संहार जरूरी है चुप रहना कायरता होगी, शत्रु के उत्पात पर फ़ौरन बढ़ कर उस पर अपना तीखा वार ज़रूरी है नालायक लोगों से बढ़ कर निबटें यह भी वाज़िब है टुच्चे लोग कहाँ सुधरेंगे, जम कर मार ज़रूरी है बहुत हो गई अमन की बातें अगर चैन से सोना है दुश्म

कर देना क्षमा

6 सितम्बर 2016
2
1

दे रहा हूँ प्यार से इक फूल, कर देना क्षमा भूल कर भी गर हुई हो भूल, कर देना क्षमा बात जो के बन गई इतिहास वो रहने भी दो क्यों उसे हम व्यर्थ में दें तूल, कर देना क्षमा भूल जाना चाहिए गलती कोई स्वीकार ले झाड़ देना तुम समझ कर धूल, कर देना क्षमा क्यों भला हम गाँठ बाँधे ही रहें इक बात को है यही तो इक

ग़ज़ल / चिड़िया

29 अगस्त 2016
2
0

सुंदर-प्यारे गीत मनोहर गा कर हमें सुनाएगी चिड़िया के गर पंख बंध गए तो कैसे उड़ पाएगी उसका है आकाश उसे भी हक है पंख पसारे वो चिड़िया को आज़ाद करें तो दूर तलक वह जाएगी नन्ही चिड़िया कितनी प्यारी यह दुनिया है उसकी भी बेहद खुश होगी जब अपने नन्हे पर फैलाएगीपिंजरे में क्यों कैद क

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए