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सुशील कुमार शर्मा के बारे में

सुशील कुमार शर्मा व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाध‍ि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं | अापकी रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य वेबसाइटो पर एवं विभ‍िन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाश‍ित हो चुकी हैं। आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं 1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान "द्रोणाचार्य "सम्मान 2012 2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007 3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002 4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009इसके आलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |

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सुशील कुमार शर्मा की पुस्तकें

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सुशील कुमार शर्मा के लेख

उस पार का जीवन

16 जून 2016
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उस पार का जीवन सुशील कुमार शर्मा मृत्यु के उस पार क्या है एक और जीवन आधार। या घटाटोप अन्धकार। तीव्र आत्म प्रकाश। या क्षुब्द अमित प्यास। शरीर से निकलती चेतना। या मौत सी मर्मान्तक वेदना। एक पल है मिलन का। या सदियों की विरह यातना। भाव के भवंर में डूबता होगा मन। या स्थिर शांत कर्मणा। दौड़ता धूपता जीवन हो

खेतों के ज़रिये शरीर में उतरता ज़हर

15 जून 2016
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खेती में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से कहीं, 07 वर्ष की लड़कियों में माहवारी शुरू हो रही है, तो कहीं मनुष्यों के सेक्स में ही परिवर्तन हुआ जा रहा है। विश्व बैंक के अनुसार दुनिया में 25 लाख लोग प्रतिवर्ष कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के शिकार होते हैं, जिसमें से 05 लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। फ

किसान चिंतित है

13 जून 2016
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किसान चिंतित हैसुशील शर्माकिसान चिंतित है फसल की प्यास से ।किसान चिंतित है टूटते दरकते विश्वास से।किसान चिंतित है पसीने से तर बतर शरीरों से।किसान चिंतित है जहर बुझी तकरीरों से।किसान चिंतित है खाट पर कराहती माँ की खांसी से ।किसान चिंतित है पेड़ पर लटकती अपनी फांसी से।किसान चिंतित है मंडी में लूटते लुट

नारी तुम मुक्त हो।

12 जून 2016
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नारी तुम मुक्त हो।नारी तुम मुक्त हो। बिखरा हुआ अस्तित्व हो। सिमटा हुआ व्यक्तित्व हो। सर्वथा अव्यक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।शब्द कोषों से छलित देवी होकर भी दलित। शेष से संयुक्त हो। नारी तुम मुक्त हो।ईश्वर का संकल्प हो।प्रेम का तुम विकल्प हो। त्याग से संतृप्त हो। नारी तुम मुक्त हो

12वीं के बाद का भविष्य -कैसे करें केरियर का चुनाव

11 जून 2016
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12वीं के  बाद का भविष्य -कैसे करें केरियर का चुनाव सुशील कुमार शर्मा 12 वीं के बाद अजीत को समझ में नहीं आ रहा है कि वह किस विषय का चुनाव करे जो भविष्य में उसके लिए सफलता के दरवाजे खोले। परिवार के आधे लोग चाहते हैं की वह इंजीनियर बने आधे चाहते हैं की वह सिविल सर्विसेज में जाए दोस्त उसे बिजिनेस कोर्स

बड़े खुश हैं हम

11 जून 2016
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बड़े खुश हैं हम बादल गुजर गया लेकिन बरसा नहीं। सूखी नदी हुआ अभी अरसा नहीं। धरती झुलस रही है लेकिन बड़े खुश हैं हम। नदी बिक रही है बा रास्ते सियासत के। गूंगे बहरों के  शहर में बड़े खुश हैं हम। न गोरैया न दादर न तीतर बोलता है अब। काट कर परिंदों के पर बड़े खुश हैं हम। नदी की धार सूख गई सूखे शहर के कुँए। ता

पानी बचाना चाहिए

11 जून 2016
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पानी  बचाना चाहिए फेंका बहुत पानी अब उसको बचाना चाहिए। सूखे जर्द पौधों को अब जवानी चाहिए। वर्षा जल के संग्रहण का अब कोई उपाय करो। प्यासी सुर्ख धरती को अब रवानी चाहिए। लगाओ पेड़ पौधे अब हज़ारों की संख्या में। बादलों को अब मचल कर बरसना चाहिए। समय का बोझ ढोती शहर की सिसकती नदी है। इस बरस अब बाढ़ में इसको

हे परीक्षा परिणाम ,मत डराओ बच्चों को

10 जून 2016
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हे परीक्षा परिणाम ,मत डराओ बच्चों को सुशील शर्मा हे परीक्षा परिणाम मत सताओ बच्चों को, प्यारे बच्चों के मासूम दिलों से खेलना बंद करो। न जाने कितने मासूम दिलों से तुम खेलते हो ,न जाने कितने बच्चों के भविष्य को रौंद चुके हो तुम। न जाने कितने माँ बाप को खून के आंसू रुला चुके हो तुम। तुम्हे किसने यह अधिक

दहकता बुंदेलखंड

9 जून 2016
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. दहकता बुंदेलखंड जीवन की बूंदों को तरसा भारत का एक खण्ड। सूरज जैसा दहक रहा हैं हमारा बुंदेलखंड। गाँव गली सुनसान है पनघट भी वीरान। टूटी पड़ी है नाव भी कुदरत खुद हैरान। वृक्ष नहीं हैं दूर तक सूखे पड़े हैं खेत। कुआँ सूख गढ्ढा बने पम्प उगलते रेत। कभी लहलहाते खेत थे आज लगे श्मशान। बिन पानी सूखे पड़े नदी नह

रोटी कमाने के लिया भटकता बचपन

7 जून 2016
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रोटी कमाने के लिया भटकता बचपन सुशील कुमार शर्मा                 ( वरिष्ठ अध्यापक)            गाडरवाराभारत में जनगणनाओं के आधार पर विभिन्न  बाल श्रमिकों के आंकड़े निम्नानुसार हैं। 1971 -1. 07 करोड़1981 -1. 36 करोड़ 1991 -1. 12 करोड़ 2001-1. 26 करोड़ 2011 -1. 01 करोड़ यह आंकड़े सरकारी सर्वे के आंकड़े है अन्य

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