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मंजरी सिन्हा के बारे में

<span lang="HI" style="font-family:Mangal;mso-ascii-font-family:&quot;Kruti Dev 010&quot;;mso-hansi-font-family: &quot;Kruti Dev 010&quot;;mso-bidi-language:HI">शिक्षा - एम.ए ( समाजशास्त्र ) माँ का घर (लखनऊ ) ससुराल (बुलन्दशहर ) कार्य स्थल ( गजरौला मुरादाबाद ) रूचि - मुशायरे , कविसम्मेलन सुनना , भोजन में नये नये व्यंजन बनाना , आस पास सभी के दुःख सुख बांटना | <span lang="EN-US" style="font-family:&quot;Kruti Dev 010&quot;;mso-bidi-font-family: Mangal;mso-bidi-language:HI">

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मंजरी सिन्हा की पुस्तकें

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मंजरी सिन्हा के लेख

गीत

20 जून 2019
3
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शादी के बाद ससुराल से एक बेटी की अपनी माँ को भावनात्मकपाती -- गीत जिसकी रज ने गोद खिलाया , पैरों को चलना सिखलाया . जहाँ प्यार ही प्यारभरा था - वह आंगन बहुत याद आता है | सुबहसुबह आँखें खुलते ही , तेरा वहपावन सा चुम्बन | फिरदोनों बांहों में भरकर. हल

कविता

2 अक्टूबर 2018
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गांधी बाबा के स्वराज में सुरा बहुत है राज नहीं है | राज बहुत खुलते हैं लेकिन खिलता यहां समाज नहीं है | यह देखो कैसी विडंबना राजनीति में नीति नहीं है और राजनैतिक लोगों को नैतिकता

गीत -- अलोक सिन्हा

18 जून 2018
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कब तक आशा –दीप जलाऊँ , इस अल्लढ़ मन को समझाऊँ | जनम जनम से मन की राधा , खोज रही अपना मन भावन | तृष्णा नहीं मिटी दर्शन की , रीत गया यह सारा जीवन

गीत --- आलोक सिन्हा

26 जून 2017
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काग बोला है मुडेरी | क्या तुम्हें हम याद आये ,और तुमनें पग बढाये ,पर अभी टू

गीत -- आलोक सिन्हा

20 जून 2017
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गीत ---- गोपालदास नीरज

14 जून 2017
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धनियों के तो धन हैं लाखों ,मुझ निर्धन के धन बस तुम हो | कोई पहने माणिक माला , कोई लाल जडावे | कोई रचे महावर मेहदी , मुतियन मांग भरावे |सोने वाले , चांदी वाले , पानी वाले पत्थर वाले ,तन के तो सौ सौ सिंगार हैं , मन के आभूषण बस तुम हो | कोई ज

चार मुक्तक ----- अलोक सिन्हा

12 जून 2017
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1 आंसुओं के घर शमा रात भर नहीं जलती , आंधियां हों तो कली डाल पर नहीं खिलती | धन से हर

गीत ---आलोक सिन्हा

2 जून 2017
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दूर हैं हमसे हमा

गीत -- अपने रंगों में रंगा रंगीला मन

13 मार्च 2017
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अपने रंगों में रंगा रंगीला मन ,अब कोई भी रंग नहीं चढ़ता है | लाल गुलाल मोह ममता -का , तुम मुझ पर मत डारो |कच्चे रंगों वाली अपनी ,यह पिचकारी मत मारो | मेरे पुण्यों के सच्चे हैं सब रंग ,अब कोई भी रंग नहीं चढ़ता है | जो कुछ दिया वही पाया ,

कुछ लोकप्रिय पंक्तियाँ

11 मार्च 2017
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तू मन अनमना न करअपना ,इसमें तेरा अपराध नहीं , मेरी धरती के कागजपर , तस्वीर अधूरी रहनी थी | शायद मैंने गत जनमों में , अधबनेनीड़ तोड़े होंगे , प्रिय की पाती लाने वाले बादल वापसमोड़े होंगे | ऐसा अपराध किया होगा , जिसकी क

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