गोविन्द पंडित स्वप्नदर्शी
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मैं कोई लेखक तो नहीं किंतु, लेखन मेरा हॉबी अवश्य है, मैं कोई कवि तो नहीं पर कविताई मेरा आरज़ू है, मैं कोई समाज सेवक तो नहीं किंतु, समाज की सेवा मेरी पूजा है, मैं कोई मोटिवेट गुरु तो नहीं किंतु, जिन्दगी से निराश, हताश होकर नाकामयाबी के दमघोंटू वातावरण में जी रहे लोगों के लिए मैं एक ठंडी हवा का झोंका अवश्य हूं.