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यशोदा दिग्विजय अग्रवाल के बारे में

बस पाठिका हूँ , पढ़ने में आनन्द आता है ,बस पाठिका हूँ , पढ़ने में आनन्द आता है ,बस पाठिका हूँ , पढ़ने में आनन्द आता है

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प्यार इतना किया हमनेओंस की हर बूंद को छू कर देखा था कई बार कच्चे प्यार की तरह विलीन हो गई, तुम होते गए श्वेत श्याम मुझे पा लेने के बाद पता नहीं क्यों मैं रंगीन हो गईप्यार इतना किय

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<p>प्यार इतना किया हमने</p><br><p>ओंस की हर बूंद को </p><p>छू कर देखा था कई बार </p><p>कच्चे प्यार की तरह </p><p>विलीन हो गई, </p><br><p>तुम होते गए श्वेत श्याम </p><p>मुझे पा लेने के बाद </p><p>पता नहीं क्यों मैं रंगीन हो गई</p><br><p>प्यार इतना किय

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