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दिलीप राठौर के बारे में

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दिलीप राठौर की पुस्तकें

दिलीप राठौर के लेख

जब घना अँधेरा हो

8 अक्टूबर 2016
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जब घना अँधेरा हो, जब दूर सवेरा हो जब घोर उदासी हो, जब मति विनाशी हो जब साथ हो सब लेकिन, तू खुद में अकेला हो रख याद किन्ही रातो का तुजे देख उजाला हो तू बन तुफानो सा, रुख मोड दिशाओ के जीवन में वही काबिल है गिर के जो संभलता हो सूरज नहीं वो है एक तारा जो खुद न चमकता हो

गद्दार नेताओ को जवाब

8 अक्टूबर 2016
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गद्दार नेताओ को जवाब : - वाह मेरे देश के नेताओ वाह, क्या देश भक्ति निभा रहे हो? मान गए आप लोगो को कि आपके लिए देश धर्म सर्वोपरि है या राजनीति ? ये कोनसी नीति है मेरे दोस्त जो देश की सर्वोच्च सेना की कार्यशेली उनकी बहादुरी के सबुत मांग रही है? क्या आपको अपनी माँ से ये पूछ

कटाक्ष युवाओ की जीवन शैली पर

8 अक्टूबर 2016
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आजकल के युवा जो कि अपने आप को विलासिता की जिन्दगी से ओतप्रोत कर रहे है, फ़िल्मी और काल्पनिक दुनिया में खोते जा रहे है, उनके अंतर्मन को झकझोरने का एक प्रयास है ताकि वो लोग अपने जीवन के उद्देश्य को जानकार सही दिशा में बढ़ कर सफलता को प्राप्त करे | वयंग्ये युवाओ की जीवन शेली प

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