मीना शर्मा के बारे में
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मीना शर्मा की पुस्तकें
मीना शर्मा के लेख
मौन दुआएँ अमर रहेंगी !
श्वासों की आयु है सीमितये नयन भी बुझ ही जाएँगे !उर में संचित मधुबोलों केसंग्रह भी चुक ही जाएँगे !संग्रह भी च
एकाकी मुझ को रहने दो
एकाकी मुझको रहने दो.-----------------------------पलकों के अब तोड़ किनारे,पीड़ा की सरिता बहने दो,विचलित मन है, घायल अंतर,एकाकी मुझको रहने दो।।शांत दिखे ऊपर से सागर,गहराई में कितनी हलचल !मधुर हास्य के पर्दे में है,मेरा हृदय व्यथा से व्याकुलमौन मर्म को छू लेता है,कुछ ना कहकर सब कहने दो !एकाकी मुझको रहने
गीत उगाए हैं
मन की बंजर भूमि पर,कुछ बाग लगाए हैं !मैंने दर्द को बोकर,अपने गीत उगाए हैं !!!रिश्ते-नातों का विष पीकर,नीलकंठ से शब्द हुए !स्वार्थ-लोभ इतना चीखे किस्नेह-प्रेम निःशब्द हुए !आँधी से लड़कर प्राणों के,दीप जलाए हैं !!!मैंने दर्द को बोकर अपने....अपनेपन की कीमत देनी,होती है अब अपनों को !नैनों में आने को, रिश
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?इस जग के ताने-बाने मेंअपना नाता बुना ना जाएना जाने तुम कहाँ, कहाँ मैंमार्ग अचीन्हा, चुना ना जाए !बिन संबोधन, बिन बंधन मैं स्नेहपाश बँध जाऊँ !कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?नियति-नटी के अभिनय से
आती रहेगी दीवाली, जाती रहेगी दीवाली....
दीपावली जब से नजदीक आती जा रही है, मन अजीब सा हो रहा है। स्कूल आते जाते समय राह में बनती इमारतों/ घरों का काम करते मजदूर नजर आते हैं। ईंट रेत गारा ढोकर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करनेवाले मजदूर मजदूरनियों को देखकर यही विचार आता है - कैसी होती होगी इन
प्रेरणा
चिड़िया प्रेरणास्कूल का पहला दिन । नया सत्र,नए विद्यार्थी।कक्षा में प्रवेश करते ही लगभग पचास खिले फूलों से चेहरों ने उत्सुकता भरी आँखों और प
साँझ - बेला
साँझ - बेलाविदा ले रहा दिनकरपंछी सब लौटे घर,तरूवर पर अब उनकामेेला है !दीप जले हैं घर - घरतुलसी चौरे, मंदिर,अंजुरि भर सुख का येखेला है !रात की रानी खिलीकौन आया इस गली,संध्या की कातर-सीबेला है !मिल रहे प्रकाश औ
एक दीप
एक दीप, मन के मंदिर में,कटुता द्वेष मिटाने को !एक दीप, घर के मंदिर मेंभक्ति सुधारस पाने को !वृंदा सी शुचिता पाने को,एक दीप, तुलसी चौरे पर !भटके राही घर लाने को,एक दीप, अंधियारे पथ पर !दीपक एक, स्नेह का जागेवंचित आत्माओं की खातिर !जागे दीपक, सजग सत्य काटूटी आस्थाओं की खातिर !एक दीप, घर की देहरी पर,खु
कहता होगा चाँद
जब बात मेरी तेरे कानों में कहता होगा चाँदइस दुनिया के कितने ताने, सहता होगा चाँद...कभी साथ में हमने-तुमने उसको जी भर देखा थाआज साथ में हमको, देखा करता होगा चाँद...यही सोचकर
मन रे !अपना कहाँ ठिकाना है!!!
मन रे,अपना कहाँ ठिकाना है?ना संसारी, ना बैरागी, जल सम बहते जाना है,बादल जैसे