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पंडित कृष्णकुमार उपाध्याय के बारे में

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पंडित कृष्णकुमार उपाध्याय की पुस्तकें

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१ - मानव के आधीन पालतू जानवरों

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<p><img src="https://www.facebook.com/photo.php?fbid=2338393456174223&amp;set=a.175059139174343&amp;type=3&amp;theater" alt=""><br></p><p><span style="color: rgb(75, 79, 86); font-family: Helvetica, Arial, sans-serif;">१ - मानव के आधीन पालतू जानवरों

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पंडित कृष्णकुमार उपाध्याय के लेख

बाबा जयगुरुदेव राजनैतिक संगत का गठन किया गया

16 मार्च 2019
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जयपुर। बाबा उमाकांत महाराज के सानिध्य में संचालित बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था द्वारा संबंध बाबा जयगुरुदेव राजनैतिक संगत की एक राष्ट्रीय गोष्ठी में लखनऊ कार्यक्रम में बाबा जयगुरुदेव राजनीतिक संगत का गठन किया गया। राजनैतिक संगत के राष्ट्रीय प्रभारी आशुतोष शर्मा (जय

जागरुकता

13 अक्टूबर 2018
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मैनै देखा जागरुकता ! आज की शाकाहार प्रभात फेरी मेंआपने भी कहीं देखा होगा होगा पर मैंने जो देखा अविश्वसनीय था ! लोग तमाशा देखते हैं खड़े होकर पर कोई कुछ नहीं करता शायद इस डर से कि उनका समय बर्बाद न हो जाए वे भी कहीं फस न जाए पर मैंने देखा उस अधेड उम्र की महिला को जिसकी

ईश्क-ऐ-ग़ज़ब की

22 सितम्बर 2017
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#गज़ल #ईश्क-ऐ-ग़ज़ब की मत पूछिए मुझसे मेरी उदासी का सबब,तुम्हारा नाम मुझसे लिया नहीं जाएगा।मत पूछिए ये भी की अकेला क्यों हूं ,तुम्हारा जिक्र मुझसे किया नहीं जाएगा ।पर बात तो ये भी सच ही है लिए बगैर, तुम्हारा नाम मुझसे जिया नहीं जाएगा ।तुम पास हो तभी तो राहत धड़कन-ऐ-दिल को है,तुम दूर जाओगी तो मुझसे र

चरित्र_पथ

13 सितम्बर 2017
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#चरित्र_पथचरित्र पथ एक तलवार के धार की सी हैचरित्रवान चाहते चलना उसी पर सेरुकिए नहीं झुकिये नहीं गतिमान पथ पर तीव्रता भी कम नहीं हो पाए और नहीं बस इस तरह की मांग पथ की है चरित्रवान चाहते चलना उसी पर हैतीव्रता इतनी रहे की पग पथिक के फट न पाए तुच्छ मन के ये हिलोरें आगे पथिक के टिक न पाएव्रत धरे ऐसे कि

सुबह

25 अगस्त 2017
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सुबह की सुंदर बेला में तुम आओ हम भी आएं आकाश से छलके अमृत तो तुम भी पीयो हम भी पिएं क्या रक्खा है इस कान्क्रीट में क्या रक्खा है इस पत्थर में रेती और बालू की दीवारों में क्या रक्खा हैछोड़कर घुटती चारदीवारी आ जाओ तुम वन उपवन मेंसुबह की सुंदर बेला में तुम आओ हम भी आएं इस अमृत वेला में गहरी सांस खींचकर

नए हैं हम

22 अगस्त 2017
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नए हैं हमसंकल्प द्ढ है भारत के नवनिर्माण का ।अभी अभी तो आए है विचार लिए विकास का ।दावानल सी फैल उठी है ये बात सारे देश मे ।भारत ! हाँ जी भारत मे हीबल है जनसमुदाय का...! नए है हमअस्तित्व बडा हैयुवाओं के बाँह का ।कदम कदम पर रक्खे हमने नीव तेज विकास का ।हर तरफ अब गूँज उठे ह

सोचा मिल लूँ थोड़ा

7 अगस्त 2017
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बड़े दिन हो गए शायद की तुम भी होगे रण में अधमरे से तो सोचा मिल लूँ थोड़ा तुम्हे मैं याद हूं या नहीं मुझे तुम याद आये हो तो सोचा मिल लूँ थोड़ा...!अभी तो कदम रक्खा है शिखर की पगडंडियों परशिखर की श्रृंखलाओं का मुझे अनुमान कैसे हो तुम्हे अनुभव है इनकी मार का हर हाल का तो सोचा मि

जीवन नीरस है

5 अगस्त 2017
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जीवन नीरस है -२ तुम बिन है सूना आसमां तुम बिन है सूनी जमी तेरी ज़रूरत है जीवन नीरस है आंखें गीली तो नहीं दिल रो रहा रात दिन मन में हिलोरें खूब हैं जो मैं जी रहा तेरे बिन सीढ़ियों से गिर पड़ते हैं चलते-चलते रुक जाते हैं अब राह की रु

चेतावनी है दैत्यों

6 मई 2017
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ये जान है ये आवाज़ है जिसे सुनते ही मूर्छित दुश्मन है तुम चीन हो या पाकिस्तान हो संभाल लो अपनी हद तक को आएंगे जब ये तीक्ष्ण हाथ गिर जाओगे ढह जाओगे हो सकता है इस नक़्शे में आज तो हो कल खो जाओगे #indianarmy #army #pmo #kashmir

हे प्रभु तुम्हारी मांग है

3 मई 2017
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भावुक हृदय जलमग्न आंखे घोर वेदना के सिंधु में डूबते उतिराते है रोज की रात ऐसी ही होती है की क्रोध से कोपित हृदय है लावा भभकता उठ रहा है इस ज्वालामुखी को विवेक से शांत करते है अनर्थ हो रहा है अधर्म बढ़ रहा है कब तक शांत हो उठो जागो डोर थाम्हो कसो सीधे खींच

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