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गोविन्द सिंह की पुस्तकें

गोविन्द सिंह के लेख

हे कृष्ण.!...अकेले आते हो??

16 अगस्त 2017
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✍🏻हे कृष्ण!....अकेले आते हो?✍🏻तेरे चरणों में अर्पित-अर्पण जग सारापर,एक सवाल है हमारातुम सब जगह अकेलेसबको राह दिखाते हो।क्या अवतार लेकर अकेले आते हो??महाभारत मेंहर पात्र में नजर आते होमाखन चोर बने सो ठीकगोपी उपालंभ भी तुम्हीं कराते हो।उलूखन-बंधन,इन्द्रकोप-गोवर्धनयमुना तट पर वंशी वादनगोपी विरह या भक

श्री कृष्णम्

16 अगस्त 2017
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर सादर हार्दिक शुभकामनाओं के साथ--"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""✍🏻श्री कृष्णम्"""""""""""""""""""💐ज्ञान सागर कृष्ण भावनामृतम्।💐सौन्दर्य,ऐश्वर्य,त्रिगुणों बलम्।।🍃पुरूषोत्तम योग प्रकृति ज्ञानम्।🍃भगवद्ज्ञान विराट योगध्यानम्।।🍁आत्मत्व प्रेम प्राणेश्वरम् परम्।🍁 चित

तुम नहीं समझे

16 अगस्त 2017
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✍🏻 तुम नहीं समझे ✍🏻"""""""""""""""""""""""""""""""""दम तोड़ गई आरजूएं तेरे दर परसजदे का एक दर्द तुम नहीं समझेदरक गये आईने वफाए सितम से तेरेटुकड़ों में रहा अक्स तुम नहीं समझेमेरे होटों में रूकी फरियाद ना निकलीक्यूँ लरजते आँसूओं को तुम नहीं समझेशिकवे शिकायत छोड़ दी अब हमनेंक्यूँ मुस्कराने की ठानी तुम

लौट चले अब

3 अगस्त 2017
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✍🏻--लौट चलो अब--✍🏻भटक रहा है मानवस्वचालित यंत्र साशहरों -महानगरों की गलियों मेंसड़कों पररेले सा गुंथा हुआतंग घरों गलियों मेंप्रदुषण और रोगों कीफिसलन भरी राहों मेंचोट ग्रस्त कराह रहा है।सभ्यता की छलांगे औरअसीमित सुख की आस मेंआकुल है व्याकुल होसोशल मीडिया परमनगड़न्त रिश्ते बनाऐ जा रहा हैं।मंजिलों दर म

कुछ ना कह सका

3 अगस्त 2017
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✍🏻कुछ ना कह सका✍🏻--------------------------------भौतिकवाद की घुटन।मंहगाई की लुटन।राजनैतिक ऊहापोह।मिथकों के अदृश्य धागे।ऊलझे रिश्तों की छटपटाहट।सन्तानों के विद्रोही स्वर।धुँआ-धुँआ वैचारिक गगन।प्रेम ,प्यार ,इन्तजार कीअनुभूति।जिन्दगी का जहर,विधवा का अवसाद।तहखानों में डूबा सूरज,चूल्हें की राख सी चान्द

कुछ ना कह सका

3 अगस्त 2017
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✍🏻कुछ ना कह सका✍🏻--------------------------------भौतिकवाद की घुटन।मंहगाई की लुटन।राजनैतिक ऊहापोह।मिथकों के अदृश्य धागे।ऊलझे रिश्तों की छटपटाहट।सन्तानों के विद्रोही स्वर।धुँआ-धुँआ वैचारिक गगन।प्रेम ,प्यार ,इन्तजार कीअनुभूति।जिन्दगी का जहर,विधवा का अवसाद।तहखानों में डूबा सूरज,चूल्हें की राख सी चान्द

शहीद

11 जुलाई 2017
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✍🏻🇮🇳शहीद🇮🇳✍🏻----------------------------शहीदों की अर्थी पर अरे देखों पुष्प वर्षा होती है।जख्म की तासीर ऐसी अरे देखों आँसुओं की चर्चा होती है।।ना"पाक"घात लगाये बैठा हम आघात सहते रहते है।माँ बहन बेटी पत्नी के आँसू इस माटी पर बहते रहते है।।खून से सिंदूर धुला पर वतन के वीर कब रोयें है। बलिदान जवा

शहीदों की याद

11 जुलाई 2017
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🇮🇳🙏शहीदों की याद🙏🏻🇮🇳-------------------------------------सुन कहानी शहीदों कीहर आँख भर आती हैं।आजादी की हर खुशीलाशों पर चलकर आती है।रोती,तकती,थकती,जगती,सिसकी और आहें भरती,ममता की ख्वाहिशें मरती,सोच सोच कर छाती भरती,किस हाल में लड़ा होगा मेरा लाल।पुजा पाठ,मन्नतों दुआओं का हुआ नही कमाल।ना"पाक"देश

मजनू बन जाता

8 जुलाई 2017
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✍🏻मजनू बन जाता था✍🏻-----------------------------हम तो ठहरे गाँव गाँव के प्यार शहरी से हो जाता था।लैला उसमें दिखती थी मजनू मैं बन जाता था।।1।।नोटबुक के हर पन्नें पर नाम उसका लिख जाता था।पढ़ने की हर कोशिश चेहरा उसका दिख जाता था।।2।।क्लासरूम और केन्टीन गार्डन में भी जाता था।एक झलक ही मिल जाऐ,करने दुआ

सांसे

8 जुलाई 2017
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सांसे------कितनी बची है अब सांसे कोई नही जानता है।उम्र बढ़ गई है पर मन है कि नहीं मानता है।।मरहम पट्टी सुई गोली कब तक डाक्टर जानता है।तकलीफो का हर राज तो बिस्तर ही जानता है।।तकदीर के किस्सों के बयां को कौन जानता है।मरती हसरतों के दर्द को एक बिमार जानता है।।फिर मिलता हूँ आकर तुझसे ऐ बेवफा जिन्दगी।जिद

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