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sanjay nirala के बारे में

पगडंडियो के धूल बन उड़ते रहे , छोड़ सड़क महलों की !! धन्यवाद 🙏

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sanjay nirala की पुस्तकें

sanjay nirala के लेख

साथ अगर तुम दो मेरा तो

31 जनवरी 2021
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साथ अगर तुम दो मेरा तो ,मैं भी कुछ गुन गुना लेता ,माना तिनका हूं यहां पर ,बांध टाट छप्पर बना देता ।साथ अगर तुम दो मेरा तो....सेप हो ना चाहे इसकी ऊंची ,दीवारों पर हो ना रंग की पूंजी ,पर कोई उसमें सर छुपा लेता ,मैं भी धूप से उसे बचा देता !साथ अगर तुम दो मेरा तो........अरे वैर नहीं है कोई तुमसे ,बिन ख

कुछ दोहे

15 दिसम्बर 2020
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आप सभी आदरणीयों के सामने मैंने अपने लिखें कुछ दोहें रखें है । कृपया मार्गदर्शन आशीष द्वारा अनुगृहित करने की कृपा करें ।आओ लेकर पास ही ,वो सारे ही साख !हवनकुंड में जो हुए ,आज जल भून राख !!१मिलकर होली खेलते ,एक दूजे के साथ !नाचें गाएं खूब ही ,सुर-ताल रहे साथ !!२कुंठित ना हो भीत भी ,पाल कोई विकार !शुभ

आओ मुझे आवाज दो

3 अप्रैल 2020
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आओ मुझे आवाज दो ,बर्षो की कुचली सहमी दबी ,अभिव्यक्ति को निखार दो !सूर्य नहीं दीपक हूं ,मुझे तो एक बार जला दो ,मुझे तो एक बार जला दो !माना अंधेरा है घना ,छोटा ही सही बड़ा न बना !पर संकल्प प्रण से ,हौसला कभी न डिगा !हवाओं की झोंको से ,बार बार हिला !पर कभी न डिगा ,अंधेरा हो चाहे जितना घना !जलूगां तब तक

आज के परिदृश्य पर अतीत से प्रहार

31 मार्च 2020
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महामारी के चपेट में हैं ,अभी तो ,आजादी की बात न कर ,स्वाद पका लेना स्वादानुसार ,अभी राजनीति की ,लौ जलाने का काम न कर ।सोच अपनी भूल को ,देख अपने अतीत को ,छिन गया तगमा तुमसे ,तुम नेतृत्व कर रहे हो ,सिर्फ भेड़ के भीड़ को ,सिर्फ भेड़ के भीड़ को ,व्यथा दे रही हवा क्रोध को ,धिक्कार रही ज़मीर को ,पोछ उस गर

मौन होना बुरा नहीं

31 मार्च 2020
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मौन होना बुरा नहीं ,पर किसी ,गुनाह से कम नहीं ,बुद्ध होना बुरा नहीं ,पर अशोक सा बुद्ध ,गुनाह से कम नहीं ,मौन होना बुरा नहीं ,अहिंसा भ्रमण करें वहां ,सबल धरे समाज जहां ,निज स्वतंत्रता ,निज विचार ,विरोध नहीं ,आजादी का यहां ,पर विनय निवेदन एक यहां ,इससे होता नहीं ,राष्ट्र समाज का निर्माण यहां ,और उचित

कायरता ही भय धरे

30 मार्च 2020
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कायरता ही भय धरे ,सबल ही स्वाभिमान वरे ,शास्त्र तो नीति निर्माण करें ,पर शस्त्र से ही धर्म बचे ,समझो परखो विचार करें ।लुट रही हो इज्जत ,जब किसी अबला की ,मनुहार से अस्मत ना बचें ,हमला हो जब सरहद पर ,चरखा से न सीमा बचें ,घुसपैठ हो जब घर में ,अहिंसा से ना घर बचें ।इतिहास उठाओ ,अपने अतीत को निहारो ,त्या

तिनका हूं

27 मार्च 2020
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तिनका हूं ,मुझे कोई गुरुर नहीं ,आग लगा दो ,बांध टाट छप्पर बना लो ,हरदम देने का आदि हूं ,तिनका हूं ,मुझे कोई गुरूर नहीं ,जाड़ा में ताप ,धूप में छांव ,हर वक्त बीना मोल ,बिकने का आदि हूं ,तिनका हूं ,मुझे कोई गुरूर नहीं ,धर्म मजहब का भेद नहीं ,पंथ सम्प्रदाय का मोह नहीं ,कर्म पथ का राही हूं ,सुख दुःख का

पीना सीखों कोलाहल

27 मार्च 2020
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पीना सीखों कोलाहल ,शिव सा निर्विकार बनो ,विश्व अब पुकार रहा ,तुम मानवता का तारणहार बनो ,लेकर डमरू हाथों में ,तांडव का शंखनाद करो ,स्थिर दृष्टि दुनिया की तेरी तरफ ,अब त्रिशूल उठाओ हाथों में ,हो चुका बहुत तप हिमालय में ,पापियों का अब संहार करो ,पीना सीखों कोलाहल ,शिव सा निर्विकार बनो ,मंच चुका है हाहा

पतझड़ तो सृजन की क्रिया

28 जनवरी 2020
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पतझड़ तो सृजन की क्रिया ,देता निमंत्रण आगंतुक को ,तूं भी तो अब सफर कर लें ,मत रोक राह अब नये जीवन का ,मत रोक राह अब नये जीवन का ,छोड़ प्रवृत्ति की बातें ,वो तो पीड़ा तन का ,तन नहीं जो तूं खोया है ,वो तो तेरा सिर्फ घरौंदा ,गिरता है तो गिरने दें ,छोड़ ये क्रिया की प्रतिक्रिया की ,तूं अवसाद ना पलने दें

मरने से डरता नहीं

25 जनवरी 2020
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आज कल बड़ी शोर है ,एक तकिया कलाम का ,मरने से डरता नहीं ,कोई मुसलमान यहां ,पर आओ करें ,कुछ जिवंत साक्षात्कार ,देखा हमने छिपते भागते ,सद्दाम को बंकर में यहा ,खौफ में अमेरिका के ,चेहरे बदलते यहां ,देखा हमने भागते ,रोहिंण्या को बर्मा से यहां ,पनाह मांगते भारत में ,छुपाते अपने कुकर्मों को यहां ,आज कल बड़

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