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Hritik mishra के लेख

रद्दी

6 मई 2017
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कुछ खास नही था उसमे...ना बला की खूबसूरत ना तीखा अंदाज बस पहले की तरह ही साधारण सी लडकी लग रही थी वो उस दिन भी... वही देखते ही मुस्करा कर नजरें चुरा लेना..कुछ नयी पुरानी बातें कुछ एक मिनटो के लिये एेसा लगा कि वक्त का पहिया फिर हमे सालो पीछे घसीट लाया है.. वैसे मैं उसकी हर एक चीज पर गौर किया करता था प

प्रेम

6 मई 2017
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हाँ पता है प्यार था कभी तुम्हें और मुझे प्रेम ..बस शायद यही एक अंतर कम ना हो पाया प्यार और प्रेम वाला.. प्रेम समर्पण है और प्यार आकर्षण.. अब भी जब कभी तुम आती तो किसी बहाने से तो फिर से वही बच्चन साहब का गाना गूंजता है कानो में.."की अब से पहले बस रही थी सितारों में कभी तुझको बनाया गया है मेरे लिए" म

चाँद और चांदनी

6 मई 2017
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तुम चाँद नहीं थी मेरे लिए चांदनी थी.. चाँद कहाँ बेदाग होता है ..पर चान्दनी तो पवन होती है.. तुम बेदाग थी मेरे लिए मैं इसीलिए तुम्हे चांदनी समझता था .. दुनिया के कहने पर भी मैंने तुम्हे चाँद कभी नहीं माना तुम हमेशा दोषमुक्त रही थी मेरे लिए .. तुम्हारा मेरे सामने चांदनी बनने को मैंने तुम्हारा वही बचपन

चाँद और चांदनी

6 मई 2017
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