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देवेन्द्रराज सुथार के बारे में

पत्रकार, लेखक, व कवि देवेंद्रराज सुथार नन्हीं उम्र से ही लेखन में कार्यरत है। ये मूलत: राजस्थान के जालौर जिले के बागरा कस्बे के रहने वाले है। इनके लेख व कविताएं आये दिन विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में पढने को मिलती है। फिलहाल, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में कला संकाय तृतीय वर्ष में अध्ययनरत है।

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देवेन्द्रराज सुथार की पुस्तकें

देवेन्द्रराज सुथार के लेख

सृष्टि के वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा

28 जनवरी 2018
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शिल्प, वास्तुकला, चित्रकला, काष्ठकला, मूर्तिकला और न जाने कितनी कलाओं के जनक भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का आर्किटेक्ट व देवशिल्पी कहा जाता है। हम उन्हें दुनिया के प्रथम आर्किटेक्ट और इंजीनियर भी कह सकते है। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार देवताओं के लिए भवनों, महलों, रथों व बहुमूल्य आभूषण इत्यादि का नि

‘गणतंत्र’ होता ‘गनतंत्र’ में तब्दील !

25 जनवरी 2018
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हमारे देश को गणतंत्र की राहों पर चलने से पहले स्वतंत्र होना पड़ा। और यह स्वतंत्रता हमें इतनी भी आसानी से नहीं मिली जितनी की हम फेसबुक की प्रोफाइल पिक्चर को तीन रंगों में रंगकर अपनी राष्ट्रभक्ति साल में दो दिन छब्बीस जनवरी और पन्द्रह अगस्त पर सार्वजनिक कर देते हैं। आज़ादी के लिए न जाने कितने ही मां के

आजादी के अमर नायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

22 जनवरी 2018
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भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सेनानी, भारत रत्न सम्मानित, 'दिल्ली चलो' और 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा' जैसे घोषवाक्यों से स्वाधीनता संग्राम में नवीन प्राण फूंकने वाले सर्वकालिक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म पिता जानकी नाथ बोस व माता प्रभा देवी के घर 23 जनवरी सन् 1897 को उड़ीसा के कटक म

'बागों में बहार है, कलियों पे निखार है'

21 जनवरी 2018
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बसंत मतलब कवियों और साहित्यकारों के लिए थोक में रचनाएं लिखने का सीजन। बसंत मतलब तितलियों का फूलों पर मंडराने, भौंरे के गुनगुनाने, कामदेव का प्रेमबाण चलाने, खेत में सरसों के चमकने और आम के साथ आम आदमी के बौरा जाने का दिन। बसंत मतलब कवियों व शायरों के लिए सरस्वती पूजन के नाम पर कवि सम्मेलन व मुशायरों

मकर संक्रांति : अनेकता में एकता का पर्व

13 जनवरी 2018
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हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहारों, मेलों, उत्सवों व पर्वो का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां साल में दिन कम और त्योहार अधिक है। ऐसे में यह कहे तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यहां हर दिन होली और हर रात दिवाली होती है। दरअसल ये त्योहार और मेले ही है जो हमारे जीवन में नवीन ऊर्जा का संचार करने के साथ ही परस

युवा पीढ़ी संभल करके विवेकानंद हो जाए !

11 जनवरी 2018
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युगपुरुष, वेदांत दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी, दरिद्र नारायण मानव सेवक, तूफानी हिन्दू साधु, करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत व प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता आधुनिक नाम कोलकता में पिता विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ था। दरअसल यह

बाघ संरक्षण की चुनौतियां और समाधान

4 जनवरी 2018
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देश में बाघों की लगातार कम होती संख्या सरकार और पशुप्रेमियों के लिए चिंता का विषय है। कभी लोगों के बीच अपनी दहाड़ से दहशत पैदा कर देने वाले बाघ आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। आज केवल बाघों की आठ में से पांच प्रजाति ही बची है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ नानक संस्था का कहना माने तो 2022 तक बाघ जंगल से वि

ढोंगी बाबाओं का फैलता मकड़जाल

24 दिसम्बर 2017
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आस्था के नाम पर पाखंड, ढोंग और आडंबर का खेल भारत में जारी हैं। एक ऐसा ही ढोंग का खेल रचने वाला तथाकथित बाबा फिर सुर्खियों में हैं। दिल्ली के रोहिणी में आध्यात्मिक विश्वविद्याालय चलाने वाले तथाकथित बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित पर उसी की शिष्या ने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। कहा तो यहां तक जा रहा है

सर्दी का सितम

30 नवम्बर 2017
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सर्दी का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। दिन भी ठंडा है और रात भी ठंडी है। इस ठिठुरन से लोकतंत्र ठिठुर रहा है। नेता ठिठुर रहे है, जनता ठिठुर रही है, जानवर ठिठुर रहे है। ठिठुरन के मारे रजाई से बाहर निकलने का मन ही नहीं कर रहा है। सुबह उठते ही सीधी दोपहर हो रही है। द

जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़

26 नवम्बर 2017
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विडंबना है कि आजादी के सात दशक बाद भी हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हो सका है। सरकारी अस्पतालों का तो भगवान ही मालिक है ! ऐसे हालातों में निजी अस्पतालों का खुलाव तो कुकरमुत्ते की भांति सर्वत्र देखने को मिल रहा हैं। इन अस्पतालों का उद्देश्य लोगों की सेवा कर

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