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Vikas Khandelwal की पुस्तकें

कहानी में कहानी

कहानी में कहानी

मेरी इस किताब को मैंने लिखा है लेकिन ये आप सब के लिए है । कहानी ज्यादा बड़ी तो नही है लेकिन छोटी भी नही है । इस कहानी में है आलिया लेकिन रणबीर नही है । इस कहानी में शब्द है लेकिन चित्र नही है । इस कहानी का उद्देश्य लोगो का विशुद्ध मनोरंजन करना है और म

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कहानी में कहानी

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मेरी इस किताब को मैंने लिखा है लेकिन ये आप सब के लिए है । कहानी ज्यादा बड़ी तो नही है लेकिन छोटी भी नही है । इस कहानी में है आलिया लेकिन रणबीर नही है । इस कहानी में शब्द है लेकिन चित्र नही है । इस कहानी का उद्देश्य लोगो का विशुद्ध मनोरंजन करना है और म

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Vikas Khandelwal के लेख

# मेरा ख्वाब

3 मई 2022
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अब्र था - सब्र था - पानी मे खिलता गुलाब थाउसकी झील सी आंखों में मेरा ख्वाब थानफा था - नुकसान था - मगर व्यापार बेहिसाब थारोज का खर्चा निकलता इसी से जनाब थाबुखार था - जुखाम था - कोरोना का कह

इन्तज़ार करता रहा

18 जून 2019
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मै बिना टिकट के सफर करता रहा स्टेशन पर टीटी मेरा इन्तज़ार करता रहा आसमान से गिरा हू तो ख़जूर में क्यू अटकू मै गिरा आम के बगीचे में , ख़जूर मेरा इन्तज़ार करता रहा दिले इश्क़ का मरीज़ हू तो आऊँगा जरूर , ये सो

स्त्री हठ कि धनी हो

31 जनवरी 2019
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छोड़ दो जिद अपनी बन जाएगी बात अपनी मानता हु कि तुम स्त्री हठ कि धनी हो मगर पत्थर कि तो नहीं बनी हो ममता और वात्सल्य तुम्हारे गहने है इनको पहन के हि तो तुम

मै खून में अपने नहाया हु

9 अक्टूबर 2018
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दिल तुम्हारा तोड़ के मै भी खूब रोया हु तुमने शायद आसू बहाए होंगे मै खून मे अपने नहाया हु मै जानता हु कि तुम फूलो से भी नाजुक हो मगर यकीन जानो दिल तुम्हारा तो

इश्क़ का रोग ना लगाना

20 सितम्बर 2018
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और सब कुछ लगाना इश्क़ का रोग ना लगाना केसर कस्तूरी है ये माया भूल के भी इसको अंग ना लगाना चाहे बनो चिराग चाहे बनो दीया कभी किसी के घर को आग ना लगाना ये जिस्म एक सफ़ेद

मै तेरे लिए खुद को

8 सितम्बर 2018
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तेरी जुस्तजू में मरने को जिन्दगी कहता हु तेरी आरजू मे जीने को बन्दगी कहता हु मै कल तक जियूँगा नहीं आज मे जीने को जिन्दगी कहता हु तुझ से बिछड़ के जीना , मेरा नसीब

जरुरत खत्म होते हि

7 सितम्बर 2018
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जब उनको मेरी जरुरत होती है वो दिखा देते है की प्यार करते है जरुरत खत्म होते हि वो मेरे दिल को तोड़ देते है कभी इतना करीब रखते है कि सब दूरियाँ मिटा देते है जरुरत खत

रूठा रूठा है साजन

4 सितम्बर 2018
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टुटा टुटा है बदन बुझा बुझा है मन जबकि आज सुलझी हुई है हर उलझन कतरा कतरा करके बहता है आँखों से समन्दर फिर भी होठो पे , सजी हुई है मुस्कान रूठा

दिन एक महान आ रहा है

3 सितम्बर 2018
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राधा का कृष्ण आ रहा है फिर जन्म का दिन आ रहा है मै हु तैयार , तुम भी तैयार रहो दिन एक महान आ रहा है हर हिन्दू , हर घर और हर मन्दिर के लिए प्यारा एक

आ जाओ कन्हैया

2 सितम्बर 2018
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प्यारे कान्हा तुम्हे गोकुल कि छाछ बुलावे साबुत मटकी , गुलेल बुलावे गोप बुलावे , गोपिया बुलावे राधा का रास बुलावे आ जाओ कन्हैया हमारी मान मनुवार बुला

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