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vikas khandelwal की पुस्तकें

vikas khandelwal के लेख

प्यारी बहना आ रही है

23 अगस्त 2018
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प्यारी बहना आ रही है अपना प्यार लेकर मै भी तैयार हु उसके लिए प्यारा उपहार लेकर उसके आँसू उसके गम , सब आज मै उससे मांग लूँगा वो भी तो आ रही है मेरे लिए खुशियों

अटल हु मैं अटल

17 अगस्त 2018
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मै अटल हु और हमेशा अटल रहुँगा तुम्हे हमेशा याद आता रहुँगा आज जाता हु , घर से बुलावा आ गया है मगर तुम रोना मत , मैं तो हर युग में आता रहुँगा म

प्यार है या सजा

31 जुलाई 2018
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प्यार है या सज़ा समझ आता नहीं दर्द है या दवा मुझको पता नहीं मेरे दिल जरा बता जो है प्यार उनको मुझ से तो नज़र क्यु आता नहीं प्यार है या सजा मेरे दिल की किस्मत शायद खर

वो तो आसमा का चाँद था

24 जुलाई 2018
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फिर मन उदास हो गया जो कल तक था अपना वो आज , किसी और के लिए ख़ास हो गया कल तक खिलखिलाती थी गज़ले मेरी उसकी बेबाक शोख़ी में डूबी नज़्मे मेरी कागज़ कि खिड़की से झाकत

जबसे खुदा बना हु

23 जुलाई 2018
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अपने अन्दर जलते हुए अपने अरमान देखे भड़के हुए शोलो की आग से हाथ सेकते हुए इन्सान देखे क्या सोचा था और क्या देखा हमने अपने लोगो को बदलते देखा काफी दिन हुए आईना देखे हुए

परवाना बना दिया

23 जुलाई 2018
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तेरी याद ने दिवाना बना दिया शमा बनके जो जली हो तुम हमको उमर भर जलने वाला, परवाना बना दिया तेरी याद ने दिवाना बना दिया मुझको तस्वीरें तुम्हारी ,कुछ जो

कवि नीरज जी को समर्पित

20 जुलाई 2018
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आज एक सुरज और ढल गया चाँद के पास से टूट सितारा गया फलक पे चमकते रहेंगे शब्दों के मोती कोई ग़ालिब , कोई मोमिन , आज फिर जिन्दगी कि जंग हार गया दिल कि नाव का डुब आज

वो मेरे लिए ख़ुदा है

17 जुलाई 2018
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आओ सबका करे भला जो मुझ तक आ पहुंचा है वो मेरे लिए ख़ुदा है मैं ख़ुदा के किसी काम आया और क्या चाहिए भला आओ सबका करे भला मेरे दिल मे भी जख्म है चलते है जो गमो कि हवा के झोके नास

ज़िन्दगी तुझे देखा तो

15 जुलाई 2018
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हाथ से रेत फिसलती रही वक़्त के साथ दुनिया बदलती रही जिन्दगी तुझे देखा तो तबियत बिमार कि बहलती रही हाथ से रेत फिसलती रही मौसम को भी

मे तेरा हु सिर्फ तेरा

6 जुलाई 2018
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मैं तेरा हु सिर्फ तेरा एतबार कर मेरा चिराग़ बनके जला हु तो ये रौशनी रहेगी उमर भर एतबार कर मेरा मै तेरा हु सिर्फ तेरा मुझको अपने दिल मे बसा लो कब तलक

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