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ओमप्रकाश क्षत्रिय '' प्रकाश - के बारे में

मैं एक बालसाहित्यकार हूँ. बालकहानी लिखना मेरी शौक है . कभी-कभी बालकविता लिख लेता हूँ- पेशे से शिक्षक हूँ.*ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” *जन्म-२६जनवरी१९६५ *योग्यता-बीए३-बार *एमए ५-विषय में *आजीविका- शासकीय शिक्षक *निवास-रतनगढ़ (नीमच)मप्र *लेखन- बालकहानी,मैं एक बालसाहित्यकार हूँ. बालकहानी लिखना मेरी शौक है . कभी-कभी बालकविता लिख लेता हूँ- पेशे से शिक्षक हूँ.*ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” *जन्म-२६जनवरी१९६५ *योग्यता-बीए३-बार *एमए ५-विषय में *आजीविका- शासकीय शिक्षक *निवास-रतनगढ़ (नीमच)मप्र *लेखन- बालकहानी,मैं एक बालसाहित्यकार हूँ. बालकहानी लिखना मेरी शौक है . कभी-कभी बालकविता लिख लेता हूँ- पेशे से शिक्षक हूँ.*ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” *जन्म-२६जनवरी१९६५ *योग्यता-बीए३-बार *एमए ५-विषय में *आजीविका- शासकीय शिक्षक *निवास-रतनगढ़ (नीमच)मप्र *लेखन- बालकहानी

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ओमप्रकाश क्षत्रिय '' प्रकाश - की पुस्तकें

Sahitya

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laghukatha

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बच्चे गुनगुना ले, वही बालगीत है. मेरा तो यही मानना है. आप क्या सोचते हैं. यहां अवश्य बताए. सादर. आप के विचारों की प्रतीक्षा&nbs

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बच्चे गुनगुना ले,  वही बालगीत  है.  मेरा तो यही मानना है.  आप क्या सोचते हैं.  यहां अवश्य बताए.  सादर.  आप  के विचारों की प्रतीक्षा&nbs

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बच्चे गुनगुना ले, वही बालगीत है. मेरा तो यही मानना है. आप क्या सोचते हैं. यहां अवश्य बताए. सादर. आप के विचारों की प्रतीक्षा&nbs

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बच्चे गुनगुना ले,  वही बालगीत  है.  मेरा तो यही मानना है.  आप क्या सोचते हैं.  यहां अवश्य बताए.  सादर.  आप  के विचारों की प्रतीक्षा&nbs

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ओमप्रकाश क्षत्रिय '' प्रकाश - के लेख

समीक्षा

11 दिसम्बर 2018
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भेलपूरी सी चटपटी व्यंग्य की शानदार पुस्तक पुस्तक: हास्य-व्यंग्य भेलपूरी सी चटपटी व्यंग्य की शानदार पुस्तकपुस्तक: हास्य-व्यंग्य की भेलपूरीरचनाकार: विनोद्कुमार विक्की 9113437167प्रकाशक: रवीना प्रकाशन, सी -316 , गली नंबर- 11 गंगा विहार, दिल्ली -110094 मोबाइल 92 0512 72

कहानी - कुऍं को बुखार

18 जून 2018
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कहानी- कुंए को बुखार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश ’ अंकल ने नहाने के कपड़े बगल में दबाते हुए कहा, ‘‘ रोहन ! थर्मामीटर रख लेना। आज कुंए का बुखार नापना है ? देखते हैं कुंए को कितना बुखार चढ़ा है ?’’ ‘‘ जी अंकल ! थर्मामीटर रख लिया ,’’ रोहन ने कहा

लघुकथा— प्रवृत्ति

15 मई 2017
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लघुकथा—प्रवृत्ति ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” आज पाचवीं बार विद्यालय की गिरी हुई कोट ( खेल मैदान की दीवार) को दीर्धविश्रांति में वह ठीक कर रहा था. तभी साथी शिक्षक सुदेश ने पास आ कर कहा,'' सर जी ! यह सब महेश का कियाधरा है. वह स्कूल के छात्रों को आप के खिलाफ उकसा कर पत्थर की कोट गिरवा देता है. ताकि छा

लोककथा——सियार का बदला (भाग-२)

15 मई 2017
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( उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल की हो जनजाति की कथा पर आधारित. इस जनजाति की बोली कोलारियन भाषा समूह के अंतर्गत आती है.)हो लोककथा——सियार का बदला (भाग-२) ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”    एक बार की बात है. एक जंगल में एक चतुर सियार रहता था. एक दिन वह गुफा से बाहर निकल रहा था. तब उस की दरवाजे के पास निगाहें गई.

लघुकथा- अ-कर्म

24 दिसम्बर 2016
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लघुकथा- अ-कर्म उस को कहना पड़ा, “ सर ! मैं ने उन्हें समय पर डेटाबेस दे दिया था. आप के कहने पर भर भी दिया था. फिर भी उन्हों ने समय पर नहीं दिया. इस कारण डेटाबेस मुख्यालय पर समयसीमा में आप नहीं पहुंचा पाए. अब मैं उन की जगह ५० किलीमीटर दूर मुख्यालय पर जमा कराऊं ? यह मुझ से

बालगीत- चूहा

17 सितम्बर 2016
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लघुकथा-सांझे सपने

29 मई 2016
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लघुकथा- साँझे सपने पिछली बार प्याज को रोड़ी में फेकना पड़ा. मगर, इसबार भाव अच्छे थे, “ बाबा ! इस बार तो मुझे नया मोबाइल दिला दोगे ना ?” कालेज मेंपढने का सपना देखने वाले छोटे लड़के ने पूछा तो उस की माँ बोली, “ पहले छुटकी काब्याह करना है. उस के लिए गहनेकपडे लेने होंगे.”“ नहीं माँ ! पहले आप का कमरबंद और स

बालकविता

3 मई 2016
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लघुकथा- बात बनी की नहीं , भाषा

9 दिसम्बर 2015
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लघुकथा – बात बनी की नहीं रघुवीर के चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी, “ बात बनी की नहीं ?”“ अम्माजी ! भैयाजी गए है. मामला टेढ़ा है. पहले उस लावारिस को पटानाफिर डॉक्टर को राजी करना, उस के बाद उस का ओपरेशन होगा. तब जा कर यह मामला फिटहोगा. इस बीच किसी को मालूम भी न हो. यह जरुरी है. अन्यथा अस्पताल वाले और हम

लघुकथा - उस का दर्द

5 नवम्बर 2015
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