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रितिका दीक्षित गौतम के बारे में

मैं एक आयुर्वेद चिकित्सक हूँ | अच्छी किताबें पढ़ना मेरा शौक है कभी कभी कुछ लिखने का मन करता है, कुछ बातें जो शायद अंतर्मन में छुपी होतीं हैं उन्हें व्यक्त करने का मन करता है," अव्यक्त को व्यक्त करने का मन करता है" |

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रितिका दीक्षित गौतम की पुस्तकें

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मन में निरंतर कुछ न कुछ विचार आते जाते रहते हैं, जिन्हे हम कभी व्यक्त कर पाते हैं और कभी नहीं | कभी यूँ भी होता है कि हम कह तो देते हैं पर आपके उन विचारों को,उन भावनाओं को कोई समझ नहीं पाता और एक तीस मन क

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मन में निरंतर कुछ न कुछ विचार आते जाते रहते हैं, जिन्हे हम कभी व्यक्त कर पाते हैं और कभी नहीं | कभी यूँ भी होता है कि हम कह तो देते हैं पर आपके उन विचारों को,उन भावनाओं को कोई समझ नहीं पाता और एक तीस मन क

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रितिका दीक्षित गौतम के लेख

Rakshabandhan

10 अगस्त 2022
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#HappyRakshabandhan मस्ती मज़ाक़ से ,ठहाकों से भरा दिन… सारा दिन चहल पहल से भरा दिन… रक्षा बंधन का दिन… चुन चुनकर तुम्हारे लिए राखी ढूँढना  हाथ मेहंदी से सजाना.. फिर प्यार से थाली सजाना…  साथ म

भ्रम

8 अगस्त 2022
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उमड़ घुमड़ कर मन में..आते हैं कुछ विचार.. कुछ कह जाने का मन करता है, अपनी बातें समझाने का मन करता है.. एक आवाज़ भी अंदर से आती है कि तोड़ो चुप्पी अपनी..  कुछ तो बोलो कुछ तो पूछो.. पर वो नहीं कहती

तुम

17 मार्च 2020
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मैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँहाँ, मैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँ। एक अरसे से साथ हैं हम, और इस साथ के बारे मे लिखती हूँ। मैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँ। जानती हूँ कभी कहोगे नहीं तुम, परये बात बहुत खुशी देती है तुम्हे, किमैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँ। वो अहसास जो कुछ 18 साल

तुम्हारा साथ

2 अप्रैल 2019
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मेरी ख़ामोशी की आवाज़, मुस्कराहट का अंदाज़, बंद पलकों का ख्वाब, और हर ख़ुशी का राज़, हो तुम एक सपने सा है साथ तुम्हारा, एक हकीकत है प्यार तुम्हारा ,होठो पे हंसी, आँखों में नमी है

याद

2 अप्रैल 2019
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बहुत याद आते हो तुम, बहुत याद आतीं हैं बातें तुम्हारी बहुत इंतज़ार करती हूँ तुम्हारा, हर मोड़ पर ठहर जाती हूँ,कि शायद कहीं से दिख जाये, तुम्हारा साया|

तुम

2 अप्रैल 2019
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सूनी थी नज़र, ख्वाब देखना तुम सिखा गए खामोश होठो को मुस्कुरना सिखा गए तन्हा कर जाने का ग़िला क्या करे तुमसे तन्हाई में भी खुश रहना तुम सिखा गए |

आस्था

2 अप्रैल 2019
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हे ईश्वर , यदि तुम हो,तो कहो कौनसा अपराध ऐसा हुआ? जिसका दंड ऐसा मिला ?तुमने ही कहा था, पत्ता भी न हिलेगा बिन इच्छा के तुम्हारे, अर्थात किया तो ये तुमने ही है, तनिक भी मन विचलित न हुआ तुम्हारा? कहते हो हम सब तुम्हारे बच्चे हैं, फिर किस तरह तुम इतने निर्दयी हुए? हेईश्व

दुःख

22 जनवरी 2019
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वर्ष भले ही बीत गया, एकस्मरण उस दिवस का, लेष मात्र भी कम ना हुआ, विषैली यादें, उस कड़वे दिन कीहैं आज भी जीवित मन मश्तिष्क पर, सजल हैं नेत्र, व्यथित हृदय है आजभी। हृदय व मन में, भावनाओं का वेग है, परअभिव्यक्ति के लिए शब्दों का अभाव है। किस से, एवं किस प्रकार, बताएँइसी उहापोह में, दुख के इस सागर

तुम्हारा जाना

13 जुलाई 2018
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चले गए हो तुम यूँ अचानक और ले गए हो साथ अपने सारी खुशियाँ सारा उत्साह और जीने की चाह | सब कुछ | जिंदगी चल तो रही है तुम बिन पर क्या सच में जिन्दा हैं हम पापा खामोश हैं और मम्मी भी चुप हैं होंठ तो फिर भी बोल पड़ते हैं पर आँ

तुम

12 जुलाई 2018
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1

मेरी ख़ामोशी की आवाज़,मुस्कराहट का अंदाज़, बंद पलकों का ख्वाब, और हर ख़ुशी का राज़, हो तुम एक सपने सा है साथ तुम्हारा, एक हकीकत है प्यार तुम्हारा, होठो पे हँसी, आँखों में नमी है तुमसे हर बात की दास्तान है तुमसे, और कहुँ कैसे कितना प्यार है तुमसे

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