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ॐ गुरु की पुस्तकें

ॐ गुरु के लेख

परमात्मा का अंश

2 नवम्बर 2015
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परमात्मा का अंश अपने को पूर्ण रुप से जड,प्रकृति के साथ जोड लेता है सो वह जीव जगत  ओर उसी मे सुख-दुख का अनुभव करता है । पर जब वह जड से विमुख: हो कर चिन्मय तत्व के साथ  एकता का अनुभव करता है तब वह योगी कहा जाता है ।

क्या आप जानते हैं?

19 अक्टूबर 2015
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क्या आप जानते हैं?☞ खड़े खड़े पानी पीने वाले का घुटना दुनिया का कोई डॉक्टर ठीक नहीँ कर सकता।☞ तेज पंखे के नीचे या A. C. में सोने से मोटापा बढ़ता है।☞70% दर्द में एक ग्लास गर्म पानी किसी भी पेन किलर से भी तेज काम करता है।☞ कुकर में दाल गलती है, पकती नहीँ। इसीलिए गैस और एसिडिटी करती है।☞अल्युमिनम के ब

सुक्ष्म शरीर और आप

16 अक्टूबर 2015
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     हमारी जिंदगी इस जवानी में उलझ-उलझ कर मर जाती है औरबुडापा आया हाथ पेरो में जोश नहीं , शरीर में ताकत नहीं. बूढ़े बन गए, रहा सहा बेटेबेटी खा जाते है. कहते है ऐ. पिताजी ये दो पिताजी वो दो, मुझको संपत्ति में हिस्सादो और जीवन हाई हाय करते करते छूट जाता है. पल्ले क्या आता है. कुछ भी आपके पल्लेनहीं आता

समझे सुक्ष्म शरीर को “मन, चित, बुद्धि और अहंकार”

9 अक्टूबर 2015
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    चित क्या है ? "चेता" तुम्हारा. अब ये ढांचाबैठा है इसमें चेता कहाँ जाता है तुम्हारा. कहा जाता है चेता तुम्हारा. अधिकतरचेता कहा जाता है तुम्हारा. हमारा चेता जन्म जन्मान्तर के किये गए कामों पर जाताहै. अनेक जन्मो से हम जो काम करते आये है ना. जैसे एक किसान का लड़का है तो किसानके लड़के का चेता कहाँ जाता

संत कबीर की कहानी - 'आपसी विश्वास' और 'गृहस्थी का मूल मंत्र'

9 अक्टूबर 2015
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          संत कबीर रोज सत्संग किया करते थे। दूर-दूर से लोग उनकी बात सुनने आते थे। एक दिन सत्संग खत्म होने पर भी एक आदमी बैठा ही रहा। कबीर ने इसका कारण पूछा तो वह बोला, ‘मुझे आपसे कुछ पूछना है। मैं गृहस्थ हूं, घर में सभी लोगों से मेरा झगड़ा होता रहता है। मैं जानना चाहता हूं कि मेरे यहां गृह क्लेश क्य

भवसागर का विचित्र खेल

9 अक्टूबर 2015
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       जो लोग ज्ञान को बड़े मन लगा के सुनते है उसको निश्चित ही मोक्ष मिलता है, परंतु सुनने के साथ साथ इसको  व्यवहार में भी लाना पड़ेगा ,केवल सुनने से काम नहीं चलेगा..दूध-दूध बोल देने से,..घी-घी बोल देने से ताकतवर नहीं हो जाएगा..उसको पीना भी पड़ेगा..अगर जीवन में सुखी होना चाहते हो तो ज्ञानी बनना पड़ेगा.

बुराई ना करे क्योंकि ??

9 अक्टूबर 2015
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       एक राजा ब्राह्मणोंको लंगर में भोजन करारहाथा। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मणजहरीला खाना खाते

रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि

25 अगस्त 2015
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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि-वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -(१) दूर्वा (घास)(२) अक्षत (चावल)(३) केसर(४) चन्दन(५) सरसों के दाने ।इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो

कर्म का फल कैसे और किसे मिलता है ?

21 अगस्त 2015
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एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में भोजन करा रहा था। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मणजहरीला खान

Sixth Sense

7 अगस्त 2015
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परमात्मा को किसी परिभाषा किसी जाति या किसी समय सीमा मे नही बाधा जा सकता है। बह कही खोया नही जो ढूढा जाय। उसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता ओर अनुभव मे अनेको महानतम पुरुषो के आया है। परमात्मा को शब्द परिभाषा सिद्धांत शास्त्र मे मत खोजो यह तो मार्ग है मंजिल नही। उसे पुकारो ,प्रार्थना करो बह अन्तर

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