shabd-logo

सुनील अनुरागी के बारे में

स्वतंत्र लेखन,सोशल मिडिया कार्यकर्ता

no-certificate
अभी तक कोई सर्टिफिकेट नहीं मिला है|

सुनील अनुरागी की पुस्तकें

sunilanuragi

sunilanuragi

0 पाठक
5 रचनाएँ

निःशुल्क

निःशुल्क

सुनील अनुरागी के लेख

मोदी जी का आगामी प्रोजेक्ट

2 दिसम्बर 2016
1
0

मोदी जी दिमाग में जो दुसरे प्रोजेक्ट चल रहे हैं उनमें से एक यह भी है कि २०१८ में मनमोहन काल के सारे दबे हुए भ्रष्टाचार,दलाली के मामले तेजी से विशेष अदालतों में न्यायिक फैसले के लिए सक्रिय होंगे. ताकि चुनाव में जो पाक साफ़ होगा वही चुनाव लड़ पायेगा. सारे विवादित,अपराधिक नेता चुनाव प्रक्रिया से बाहर

सोशल मीडिया का परिहास

2 दिसम्बर 2016
1
2

दुनिया में भारत ही अकेला ऐसा देश है जहां मूर्खों की कभी कोई कमी नहीं रही है. "सोनम गुप्ता वेवफा है" वाला मजाक सभी मनोरंजन पर भारी पडा है बहुत से लोग उसे अब गंभीरता से भी लेने लगे है. इस मजाक पर अब तक जितना दिमाग खपाया गया है उसका सकारात्म

रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’

3 फरवरी 2015
0
0

हिंदी साहित्य जगत को अपनी मौलिक कृतियों से समृद्ध करने वाले प्रयोगधर्मी जीवनशिल्पी साहित्यकार एवं चिन्तक रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’ के निधन को विगत सितम्बर माह को बीस वर्ष पुरे हो चुके हैं. ठीक बीस साल पहले 09सितम्बर 1994 को रावी ने आगरा (सिकंदरा) के निकट अपनी कर्मस्थली (नयानगर,कैलास आश्रम) म

प्रभु इच्छा

2 फरवरी 2015
0
0

भगवान् हमको बोला कि हमरा भी एक लेख निकालो, लेख ए कि अपन दुनिया बनाया. दूनिया में सुख-दुःख, पवित्र-अपवित्र भला-बुरा सब तरा का आदमी भी बनाया. ए सब हमरा खेल,और कोई फालतू नईं,सब जरुरी खेल. अब जो आदमी दुःख का रोना रोये दुनिया की कोई बात या आदमी को नफरत या शिकायत करे ओ मूरख, ओ संसार का अभिप्राय नईं जानता,

राह में यूँ कांटे बिछाया न करो

30 जनवरी 2015
0
0

राह में यूँ काँटा बिछाया ना करो. दूर रहकर मुझे सताया ना करो हक़ है मुझे करीब रहने का, महफ़िल में ऐसे पराया ना करो . खता क्या है बताओ तो सही, बेक़सूर हूँ फंसाया ना करो. जिंदगी के लम्हे कीमती हैं बहुत, दर्देगम में इसे जाया ना करो . खुशियों को दामन

दुनिया के नज़ारे देख हैरान हूँ मैं

30 जनवरी 2015
0
1

दुनिया के नज़ारे देख हैरान हूँ मैं, कदम कदम पर फरेब परेशांन हूँ मैं. जायका बदल गया है हर खाने का , मिलावटखोरों के घर का शैतान हूँ मैं. गरीब कैसे पिस रहे सियासत के खेल मैं , कुछ कह नहीं सकता बेजुबान हूँ मैं . आया है अस्पताल तो जिन्दगी की दुआ कर , हकीम के हा

हम तो लुट गए यार,यारी में

30 जनवरी 2015
1
1

हम तो लुट गए यार, यारी में . मिला बेइंतहाँ प्यार ,यारी में . खुश हूँ की अपने ही जीते, मान ली हमने हार, यारी में . तू जाने का नाम न ले ए दोस्त , रोयेंगे आंसू हजार, यारी में. न होंगे खफा अब जमाने तक, कर ले म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए