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eklavya के बारे में

एक रात दरवाजे पे देर रात कुछ आहट सी सुनाई दी ,बाहर जाकर देखा तो मोह्हबत खड़ी थी ।मैंने घड़ी मैं देखा 3 बज रहे थे और उसने खामोशियाँ के करवा को तोड़ते हुए बोला चीनी हैमुझे भी ना जाने उस पल क्या हुआ ना जाने कहा से हिम्मत आयी और जबान से निकल गया चलो साथ पीते है उसके चेहरे पे जिजक थी पहले शायद लेकिम बरसो गुजरे प्यार की कुछ अहसास अभी भी उसके सीने मैं कैद थे शायद और वो भी खुद को रोक ना पायी वक़्त बीत रहा था हमारी आंखे बोलते बोलते थक गई थी और उसने भी हमारे बीच मै फेल रहे एक अंजानेपन के बांध को तोड़ते हुये पूछा क्या तुम्हें याद हैउसका बस इतना कहना ही था कि मेरे अल्फाजो पे लगी बेड़िया टूट सी गयी और यादो की वो तस्वीरे जो दिल मे कही बंद दरवाजो मैं दबी थी वो सामने आ गयी और मैंने भी कहा हाँऔर भूलता भी तोह कैसे उस दिन उसे पहली बार तो देखा था यू तो पढ़ाई मैं अव्वल था मैं पर मेरा दिल पहली बार धड़कना भूल गया था वक़्त रुक सा गया था और हां उस वक़्त मुझे एहसास हुआ इश्क़ क्या होता था बड़ी शिद्दत से कोशिश की मैंनेउसको जानने की ,पहचाने की और एक दिन मेरे पे खुदा की रहमत हुए यारो उसदिन इश्क़ मैं बरकत हुईमैं चाय पी रहा था कि एक अजनबी से आवाज आई जो मेरे दिल के बहुत करीब थी और मुझसे पूछा क्या आप मुझे घर तक lift देंगे ।यू तोह आज तक किसी को मैंने पीछे नही बिठाया था मगर किसी की क़ुर्ब्ते को लिए दिल इतना भी न तड़पाया था उस दिन से शुरू मेरी मोह्हबत का सफर अब तक न रुका,,,उसको भी दोस्ती कब प्यार मैं बदल गयी पता ही न पड़ा ।हमारा छोटा से जहाँ बड़ा खुशहाल था की ऐसा लग रहा था वो मेरा अंतिम प्यार था एक रोज मुझे जॉब का ऑफ़व्र आयाऔर ना चाहते हुये भी मुझे उससे दूर जाना पड़ा पर सच्ची मोह्हबत कहा घुटने टेकती है साहब कब ये इश्क़ अकीदत बन गया पता ही न चला कुरबतो को तरसते तरसते एक रोज आयी वो मेरे शहर मे मुझसे मिलने

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