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विजय कुमार सप्पत्ति के बारे में

कुछ लफ्ज़ मेरे बारे में : मैं एक सीधा साधा स्वपनदर्शी इंसान हूँ और अक्सर एक कवि, लेखक, गायक, संगीतकार, फोटोग्राफर, शिल्पकार, पेंटर, कॉमिक आर्टिस्ट इत्यादि के स्वरुप में जब जैसे भी हो; खुद को व्यक्त कर लेता हूँ. और फिर आप सभी के लिए एक विद्यार्थी ,मित्र, प्रेमी, दार्शनिक, शिष्य, मार्गदर्शक के रूप में तो हूँ ही ! Email - vksappatti@gmail.com / Mobile - 09849746500

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विजय कुमार सप्पत्ति के लेख

नज़्म : शहीद हूँ मैं .....

5 जनवरी 2016
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आतंकवादके कारण शहीद हुए सैनिकों की मन की वाणी  नज़्म : शहीद हूँ मैं .....दोस्तों , मेरी ये नज़्म , उन सारे शहीदों कोमेरी श्रद्दांजलि है , जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर , मुंबई को 26 / 11 को आतंक से मुक्तकराया. मैं उन सब को शत- शत बार नमन करता हूँ. उनकी कुर्बानी हमारे लिए है............!!!शहीद हूँ मैं ..

फ़रिश्ता

14 नवम्बर 2015
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||| फ़रिश्ता ||| बहुत साल पहले की ये बात है. मुझे कुछ काम से मुंबई से सूरत जाना था. मैं मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन का इन्तजार कर रहा था. सुबह के करीब ६ बजे थे. मैं स्टेशन में मौजूद बुक्स शॉप के खुलने का इन्तजार कर रहा था ताकि सफ़र के लिए कुछ किताबे और पेपर खरीद लूं. अचानक एक छोटा सा बच्चा ज

फ़रिश्ता

13 अक्टूबर 2015
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||| फ़रिश्ता ||| बहुत साल पहले की ये बात है. मुझे कुछ काम से मुंबई से सूरत जाना था. मैं मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन का इन्तजार कर रहा था. सुबह के करीब ६ बजे थे. मैं स्टेशन में मौजूद बुक्स शॉप के खुलने का इन्तजार कर रहा था ताकि सफ़र के लिए कुछ किताबे और पेपर खरीद लूं. अचानक एक छोटा सा बच्चा ज

फ़रिश्ता

3 फरवरी 2015
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||| फ़रिश्ता ||| बहुत साल पहले की ये बात है. मुझे कुछ काम से मुंबई से सूरत जाना था. मैं मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन का इन्तजार कर रहा था. सुबह के करीब ६ बजे थे. मैं स्टेशन में मौजूद बुक्स शॉप के खुलने का इन्तजार कर रहा था ताकि सफ़र के लिए कुछ किताबे और पेपर खरीद लूं. अचानक एक छोटा सा बच्चा ज

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