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कमला सिंह 'महिमा' के बारे में

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कमला सिंह 'महिमा' की पुस्तकें

कमला सिंह 'महिमा' के लेख

मानवता शर्मसार करने वाली घटना

7 जून 2020
4
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केरल में गर्भवती हथिनी की मृत्यु से,आज मानवता कराह रही है |मनुष्य होकर दानवों-सी हरकते,मनुष्यता किस ओर जा रही ?हे मानव ! ऐसी क्या विपदा आन पड़ी,जो तुम इतने हृदयहीन हुए,दो -दो निरीह प्राणियों की हत्या करजरा भी ना गमग़ीन हुए |एक बेजुबान पर , तुमने कैसी करामात की ?दोनो में से जानवर कौन थे,ये सोचने की ब

वंदना

17 मई 2020
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हे जगज्जननी मातु, सुन ले हमारी अर्चन |हे वीणावादिनी माँ , सर्वस्व तुझपे है अर्पण ||अज्ञानता मिटा दे , तू कष्ट सारे हर ले |कर दे प्रकाशित जीवन,तम को तू सारे हर ले ||संपूर्ण सृष्टि तुझको, आह्वान कर रहा हैै |देर ना कर अब तू , नव चेतना तू भर दे ||हे विद्यादायिनी माँ, सुन ले मेरी गुजारिश |ये विश्व रो रहा

वंदना

17 मई 2020
1
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हे जगज्जननी मातु, सुन ले हमारी अर्चन |हे वीणावादिनी माँ , सर्वस्व तुझपे है अर्पण ||अज्ञानता मिटा दे , तू कष्ट सारे हर ले |कर दे प्रकाशित जीवन,तम को तू सारे हर ले ||संपूर्ण सृष्टि तुझको, आह्वान कर रहा हैै |देर ना कर अब तू , नव चेतना तू भ

श्रम साधक को विश्राम नहीं

17 मई 2020
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श्रम साधक को विश्राम नहींकडी़ धूप में मेहनत करते , सर्दी में भी नहीं वे थकते |कभी बनातें सड़कें-गलियाँ, कभी तोड़ते कड़ी चट्टानकरते कभी आराम नहीं , श्रम साधक को विश्राम नहीं |मेहनत हीं है उनकी रीत ,लेते नहीं कभी वे भीख |मेहनत से ही खाते हैं ,चौराहे पर सो जाते हैं |कर्म में रहते सदा वे लीन, आजीवन रहत

श्रम साधक को विश्राम नहीं

17 मई 2020
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श्रम साधक को विश्राम नहींकडी़ धूप में मेहनत करते , सर्दी में भी नहीं वे थकते |कभी बनातें सड़कें-गलियाँ, कभी तोड़ते कड़ी चट्टानकरते कभी आराम नहीं , श्रम साधक को विश्राम नहीं |मेहनत हीं है उनकी रीत ,लेते नहीं कभी वे भीख |मेहनत से ही खाते हैं ,चौराहे पर सो जाते हैं |कर्

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