वंदना
हे जगज्जननी मातु, सुन ले हमारी अर्चन |हे वीणावादिनी माँ , सर्वस्व तुझपे है अर्पण ||अज्ञानता मिटा दे , तू कष्ट सारे हर ले |कर दे प्रकाशित जीवन,तम को तू सारे हर ले ||संपूर्ण सृष्टि तुझको, आह्वान कर रहा हैै |देर ना कर अब तू , नव चेतना तू भर दे ||हे विद्यादायिनी माँ, सुन ले मेरी गुजारिश |ये विश्व रो रहा