शुक्रिया शब्दनगरी
एक नए मंच के लिए शुक्रिया शब्द नगरी
जिंदगी को फिर से नया कुछ हासिल हुआ
फेसबुक से आगे भी है सोच किसी की - इस सोच ने मेरे दिल को छुआ
मैं तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ बनाने वाले का
नहीं पड़ता फर्क मुझे - मेरे पहले लेख में ज़िक्र मेरा हुआ कि तेरा हुआ ...