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chander prabha sood की पुस्तकें

chander prabha sood के लेख

यज्ञमय संसार

20 मई 2021
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यज्ञमय संसारयह संसार यज्ञमय है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि संसार एक हवन कुण्ड के समान है और मनुष्य का जीवन पूजा की भाँति है। एक दिन इस हवन कुंड में सर्वस्व होम हो जाना होता है। मनुष्य बस जोड़-जोड़कर रखता जाता है। उसे पता ही नहीं चलता कि कब उसका अन्तकाल आ जाता है अथवा उसका बुलावा आ गया और इस सं

रचनाकार की सफलता

19 मई 2021
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रचनाकार की सफलतारचनाकार वही सफल होता है जो समाज को दिशा देने का अपना दायित्व पूर्णरूपेण निभाता है। यद्यपि लेखन स्वान्त: सुखाय होता है तथापि उसमें रचनाकार का श्रम परिलक्षित होना चाहिए। यह तभी सम्भव हो सकता है जब वह कुछ जानना और समझना चाहे अन्यथा उसका किया हुआ सृजन स्तरीय नहीं हो सकता। साहित्

दान देना दायित्व

18 मई 2021
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दान देना दायित्वकिसी को दान देना हो अथवा सहयोग करना हो तो अपना दायित्व समझकर करना चाहिए न कि किसी आशा या उम्मीद के कारण करना चाहिए। इसे सदा अपना नैतिक दायित्व समझना चाहिए, इसके लिए उसे अहंकार कदापि नहीं करना चाहिए। मनुष्य यदि अपने सच्चे मन से और कर्त्तव्य की भावना से जितना दूसरों को देने की प्रवृत्त

मनुष्य का वास्तविक हित

17 मई 2021
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मनुष्य का वास्तविक हितसन्मित्र का मिलना बड़े सौभाग्य का विषय होता है। वह मनुष्य के लिए एक एसैट की भाँति होता है। उसे गँवा देने की मूर्खता मनुष्य को कभी नहीं करनी चाहिए। सुमित्र मनुष्य का सच्चा सहायक होता है। बातचीत के स्तर की मित्रता तो इन्सान हर किसी से रख सकता है परन्तु जिसके पास बैठकर उसे अपनेपन क

गुरु-शिष्य पूरक

16 मई 2021
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गुरु-शिष्य पूरकगुरु की प्रशस्ति में साहित्य में बहुत कुछ लिखा गया है। 'गुरुगीता' नामक एक अलग से भी एक पुस्तक है, जिसके श्लोकों में गुरु का यशोगान किया गया है। यह भी सत्य है कि अपने शिष्यों के जीवन निर्माण में उसकी भूमिका सक्रिय होती है, जिसे हम प्रशंसनीय कह सकते हैं। वह कुम्हार के पात्रों की भाँति अ

देश का संक्रमण काल

15 मई 2021
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देश का संक्रमण कालयदि किसी देश में कुशासन हो तो समझ लेना चाहिए कि वह देश संक्रमण काल से गुजर रहा है। वहाँ अराजकता का साम्राज्य बना रहता है। उस देश की जनता में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी, अनैतिक व्यवहार आदि का प्रचलन बढ़ने लगता है। वहाँ परस्पर आत्मीयता, भाईचारा और विश्वास जैसे नैतिक गुण समाप्त हो

पहचान अपने देश से

14 मई 2021
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पहचान अपने देश से मनुष्य की पहचान उसके अपने ही देश से होती है। उस देश की सांस्कृतिक विरासत उसका गौरव होती है। उसे अपने देश का नागरिक होने पर मान होना चाहिए। अपने देश में लाख कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े, उसे स्वप्न में भी छोड़ने का विचार नहीं करना चाहिए। जो सुख अपने बन्धु-बान्धवों के साथ मिलकर

होगा सोई जो रामरचि राखा

13 मई 2021
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  होगा सोई जो रामरचि राखाप्रत्येक मनुष्य अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में अनथक परिश्रम करता हुआ धन-वैभव जुटा लेता है। तब सोचने लगता है कि वह इतना सामर्थ्यवान हो गया है कि मानो अलाद्दीन का चिराग उसके हाथ लग गया है। अब वह दुनिया की हर वस्तु खरीद सकता है, अपनी मुट्ठी में कर सकता है। इस संसार की कोई भी ऐसी वस्

पिता की भूमिका

12 मई 2021
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  पिता की भूमिकाबच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पिता की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। वह अपनी सन्तान के सुरक्षित भविष्य के लिए स्वयं स्वेच्छा से खटता रहता है। दिन-रात उसके उज्जवल भविष्य की चिन्ता में ही घुलता रहता है। 'नीतिशास्त्रम्' ग्रन्थ की निम्न उक्ति हमें समझाते हुए कह रही है-            स

बच्चों मो मनमानी की छूट

11 मई 2021
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  बच्चों को मनमानी की छूटसभी माता-पिता अपनी सन्तान का लालन-पालन अपनी सामर्थ्य से भी बढ़कर करते हैं। उनके सुनहरे भविष्य के लिए जी-जान से यत्न करते हैं। वे सदा इस बाकेत का ध्यान रखते हैं कि उन्हें किसी प्रकार की कोई कमी न होने पाए।        इसका यह अर्थ कदापि नहीं लगाना चाहिए कि बच्चों को अपनी मनमानी करन

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