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वीरों का बसंत

19 फरवरी 2019

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वीरों का कैसा हो बसंत, कभी किसी ने बतलाया था।


पर ऐसा भी बसंत क्या कभी सामने आया था?


फूली सरसों मुरझाई है, मौन हुआ हिमाचल है।


धरा-व्योम सब पूछ रहे, ये कैसी हलचल है?


माँ भारती हुई आतंकित, कुत्सित कुटिल प्रहारो से।


स्वर्ग भूमि है नर्क बनी अब, विस्फोटों से अंगारों से।।


युद्ध भूमि में नहीं थे वे, जब मौत सामने आई थी।


शत्रु से बिन दो-दो हाथ किए, वीर शहादत पाई थी।।


माँ भारती की करूण वेदना, अब तो सही न जाती हैं।


इन असमय बलिदानों से तो स्वयं मौत भी थर्राती हैं।।


पीली सरसों रक्त हो चुकी, जवाब माँगती है हमसे।


खुद की रक्षा तुम ना करोगे तो क्या कोई आयेगा नभ से?

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कामिनी सिन्हा

कामिनी सिन्हा

बहुत सुंदर और यथार्थ रचना ........बिलकुल सही कहा आपने ,वीरो को सत सत नमन

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माँ

17 दिसम्बर 2017
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जब हो मन उदास,जवाबों की हो तलाश, बिन पूछे ही प्रश्नो के उत्तर दे जाती है माँ | न जाने कैसे सब ,जान जाती है माँ ?मेरी हर परेशानी,आँखों से ही जान जाती,बस यही एक प्रश्न बेजवाब छोड़ जाती है माँ ,कि क्यों सब कुछपहचान जाती है माँ?भावनाओं पर हो प्रहार,या हो ज

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माँ

17 दिसम्बर 2017
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जब हो मन उदास,जवाबों की हो तलाश, बिन पूछे ही प्रश्नो के उत्तर दे जाती है माँ | न जाने कैसे सब ,जान जाती है माँ ?मेरी हर परेशानी,आँखों से ही जान जातीबस यही एक प्रश्न बेजवाब छोड़ जाती है माँ ,कि क्यों सब कुछपहचान जाती है माँ?भावनाओं पर हो प्रहार,या हो जा

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नव वर्ष की शुभकामना

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मेरा दोस्त

25 मार्च 2018
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माँ भारती की आरती

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माँ भारती की आरती, हम यूँ सदा गाते रहे।चरणों में अपनी माँ के, हम शीश झुकाते रहे।।है मन में इक आस, कि बढ़ता रहे विश्वासप्रेम की धारा दिलों में, हम सदा बहाते रहे।माँ भारती की आरती, हम यूँ सदा गाते रहे।।खेतों में हो हरियाली, चहुँओर हो खुशहाली फूल खुशियों के हम, सदा ही उगाते रहे।माँ भारती की आरती, हम यूँ

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वीरों का बसंत

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