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vijaysappatti

विजय कुमार सप्पत्ति

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विजय कुमार सप्पत्ति की अन्य किताबें

पुस्तक के भाग

1

फ़रिश्ता

3 फरवरी 2015
0
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2

||| फ़रिश्ता ||| बहुत साल पहले की ये बात है. मुझे कुछ काम से मुंबई से सूरत जाना था. मैं मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन का इन्तजार कर रहा था. सुबह के करीब ६ बजे थे. मैं स्टेशन में मौजूद बुक्स शॉप के खुलने का इन्तजार कर रहा था ताकि सफ़र के लिए कुछ किताबे और पेपर खरीद लूं. अचानक एक छोटा सा बच्चा ज

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नज़्म : शहीद हूँ मैं .....

5 जनवरी 2016
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आतंकवादके कारण शहीद हुए सैनिकों की मन की वाणी  नज़्म : शहीद हूँ मैं .....दोस्तों , मेरी ये नज़्म , उन सारे शहीदों कोमेरी श्रद्दांजलि है , जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर , मुंबई को 26 / 11 को आतंक से मुक्तकराया. मैं उन सब को शत- शत बार नमन करता हूँ. उनकी कुर्बानी हमारे लिए है............!!!शहीद हूँ मैं ..

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