यादगार सफर है जिंदगी का,
हमें अहसास दिलाता है हर खुशी का।
कभी खुशी और कभी पल गम के,
कभी किस्से कमजोरी के कभी दम के।।
मां के गर्भ से सफर,
शुरू किया हमने।
जन्म पर खुशियां थी,
सबको हंसाया था हमने।
घर के आंगन का,
खग बनकर तरु की डाल डाल घूमें।
घर के आंगन में बनकर खिलौना,
आंगन का कोना कोना घूमें।।
उंगली पकड़ मां बाप की,
उठते गिरते हमने सफर किया।
पढ़ें लिखे और खेले कूदे,
जीवन का सुखमय सफर किया।।
जिम्मेदारी थी मां बाप के कंधों पर,
हम स्वतंत्र होकर सफर कर रहे।
ना चिंता ना जिम्मा हम पर,
हम सपने पूरे कर रहे।।
जो भी हमने सोचा जिंदगी में,
सब कुछ पाये थे अरमान।
मां बाप की उम्मीद थे हम ,
हम थे उनके अरमान।।
बड़े हुए हम जिंदगी में,
हमसफर हमारे साथ था।
प्रेम के आगोश में जीवन,
सुनहरा पल हमारे साथ था।।
डूबे रहते थे हम सदा ,
प्रेम की परछाईं में।
भूल गये हम फर्ज अपना,
डूबकर प्यार की गहराई में।।
गुजर गये जीवन के कुछ साल,
अचानक हमें ख्याल आया।
जिंदगी का सफर की मंजिल,
फर्ज हमें याद आया।।
इस यादगार सफर में,
हम डगमगा गये।
हमें पता भी नहीं चला,
हम किस मोड़ पर आ गये।।
चारों तरफ अंधेरा था,
नहीं था कोई राह दिखाने के लिए।
हम फंस गये लहरों के भंवर में,
नहीं था कोई पार लगाने के लिए।।
एक तरफ ममता,
और एक तरफ प्यार।
हम उलझ गये जिंदगी में,
किधर जाये गये जिंदगी से हार।।
जिम्मेदारी इस सफर की,
जब हमारे कंधों पर आ गई।
हमारे सफर की मंजिल,
हमारे कदमों को लड़खड़ा रही।।
आज हमें इस जिंदगी का ,
अहसास हुआ असली।
क्यों डगमगा जाते हैं लोग,
मच जाती है जिंदगी में खलबली।।
जब तक सांसे है तन में,
उतार चढ़ाव आते हैं लहरों की तरह।
अंतिम सफर तक जिंदगी में,
मुसीबतें आती है तूफानों की तरह।।
जहां से हम आये इस सफर में,
हम वहीं पर आकर रूक गये।
कर लिये जिंदगी के सारे अनुभव,
हम आज इस सफर से थक गए।।
यादगार रहा जिंदगी का,
यह सुहाना सफर।।
हम जिंदगी के अंतिम चरण पर,
अब हमें नहीं रहा है डर।।