रुराली (1 99 1) के याारा सिली सिली गीत गुलजार द्वारा लिखे गए हैं, यह हृदयनाथ मंगेशकर द्वारा रचित है और लता मंगेशकर द्वारा गाया गया है।
रुदाली (Rudaali )
यारा सिली सिली (Yaara Sili Sili ) (यारा सिली सिली)की लिरिक्स (Lyrics Of Yaara Sili Sili )
यारा सिली सिली बिरहा की रात का जलना यारा सिली सिली
यह भी कोई जीना है यह भी कोई जीना है
टूटी हुई चूड़ियों से जोड़ूँ यह कलाई में पिछली गली में जाने क्या छोड़ आयी मैं टूटी हुई चूड़ियों से जोड़ूँ यह कलाई में पिछली गली में जाने क्या छोड़ आयी मैं बी
पैरों में न सया कोई
यारा ढोल यारा ढोल यारा ढोल