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ये कैसा इश्क है

13 मई 2022

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ये कैसा इश्क है





ऊंचा कद, छरहरा बदन,तीखे नयन-नक्श, पतले-पतले कमान से तराशे हुए लालिमा लिए हुए ठोंठ, आंखें जैसे मय के प्याले हों,लम्बी सुराहीदार गर्दन, उरोज़ो को कहां तक सम्भाले, साक्षात् कामदेव को निमंत्रण देते हुए, बोलती तो ऐसे लगता जैसे कोयल ने मधुर राग छेड़ा हो कोई, उफ़्फ़्फ़् इतनी बला की खूबसूरती।
मगर किस काम की ?
 हां सच में रति  को भी मात करें ऐसी खुबसूरती फिर भी कोई लड़का पसंद नहीं करता था, कारण , पक्का रंग या यूं कहें इतना गहरा सांवला कि सांवला भी गोरा लगे उसके सामने, जैसा रंग -रूप नाम भी वैसा काजल।
जब कभी भूले से आइना देख लेती तो खूब कोसती इश्वर को,"हे भगवान् अगर इतना काला रंग देना था तो ये नायाब हुस्न क्यों दिया"?
मां से कहती,"मां मुझे पैदा होते ही मार देती ना, अब तुम्हें इतनी तकलीफ़ तो ना होती, ना बार-बार लड़के मुझे रिजेक्ट करते ना तुम परेशान होती"
मां बेटी को झूठी सांत्वना देते हुए," हुंंअअअअअअ, ये भी कोई लड़के थे, एक भी तुम्हारे लायक नहीं था, मेरी लाडो के लिए तो कोई राजकुमार आएगा, जो पलकों की डोली में बिठा के ले जाएगा"

वो भी जानती थी कि अच्छी उंचे ओहदे की नौकरी और रति को मात करने वाले हुस्न के बावजूद भी ये काला रंग आड़े आता था,  34 की हो गई मगर अभी तक कहीं रिश्ता तय नहीं हो रहा था ।
"बस मां अब अगर किसी से आपने मेरे  रिश्ते के लिए बात की तो देखना, नहीं करनी मुझे शादी-वादी" पैर पटकते हुए काजल अपनी सहेली ( साबिया) के घर चली जाती है।
" अरे काजल तुम वो भी इतने गुस्से में, लगता है आज फिर नुमाइश लगी है, यार तुझे कितनी बार कहा कुछ लगाया कर चेहरे पर, कोई उबटन वगैरा, मगर तु माने तब ना"

" लो उधर मां भाषण देती है, इधर तुम शुरू हो गई, बैठने देगी थोड़ी देर चैन से या जाऊं"
"आओ, आओ मेरी जान, तुम्हारा घर है बैठो क्या, रह जाओ दो-तीन दिन"

" ना बाबा ना, मैं तुम्हारे और जीजू के बीच कबाब में हड्डी नहीं बनुंगी, बस चल चाय पिला, थोड़ी गपशप करके चली जाऊंगी, और सुन मेरा ट्रांसफर दिल्ली हो गया है, मैं कल ही दिल्ली जा रही हूं" 

"अरे वाह ये तो बड़ी अच्छी ख़बर सुनाई तुमने काजल, अब तो तेरा दिल्ली में दिल किसी ना किसी से लगा ही समझो" और हंसते हुए उसे गले लगा लेती है। 
अगले दिन काजल दिल्ली के लिए रवाना होती है, नया आफिस, नए लोग, पहुंचते ही आफिस ज्वाइन किया।
आफिस का पहला दिन, आते ही बाॅस के केबिन की तरफ जाती है  और डोर पर नाॅक करती है।
नाॅक...नाॅक... 
अन्दर से बाॅस की आवाज़ आती है, " कम इन प्लीज़" 
काजल जैसे ही अन्दर जाकर कुछ कहने लगती है, बाॅस ( चक्षु) ने फाइल में ही झूके हुए आदेश दिया, " बाहर शर्मा जी से काम समझ लिजिए, और अपना केबिन भी देख लिजिए, नाऊ प्लीज़ लीव" 

काजल चुपचाप बाहर शर्मा जी को ढुंढने चल पड़ी, सोच रही है कितना अकड़ु बाॅस है, और अपना काम शुरू कर देती है। 

  चक्षु बहुत ही हैंडसम ऊंचा कद-काठ, गोरा रंग, चौड़ा सीना, बलिष्ट भुजाएं  उसे देखकर तो कामदेव भी शरमा जाए।  दो दिन बाद चक्षु काजल की फाईल देख रहा है तो उसकी तस्वीर देखकर दिल पे हाथ रख कर बुदबुदाया," उफ़्फ़्फ़् क्या क़यामत है ये लड़की, ये तो अप्सरा को भी मात कर दे,आज तक मैंने ऐसी परी नहीं देखी, मेरे सामने आई और मैंने इसे आंख उठाकर देखा भी नही"  
चक्षु की अभी तक शादी नहीं हुई थी उसे कोई लड़की पसंद ही नहीं आ रही थी, वो था भी इतना खूबसूरत कि कोई लड़की उसको जंचती ही नहीं थी। आज पहली बार किसी का बिन देखे दीवाना हो गया था, उसने प्रोफ़ाइल में पढ़ लिया था काजल सिंगल हैं, उसकी तो बाछें खिल गई, काजल को देखने के लिए तड़प उठा, दिल उछलकर बाहर आ रहा था,बदन में झनझनाहट,उसके साथ सपने में ही प्यार के हिलोरें लेने लगा, कभी उसकी पेशानी चूमता ,कभी सुर्ख होंठों का अमृत रस अपने होंठों से पीता, कभी उसे सीने से लगाता तो कभी उसके उभरे सीने पर सिर रखकर खुद को उसमें महसूस करता, उसे बाहों में भर प्यार लूटा रहा है,  "काजल आई लव यू, रियली लव यू जान, तुम ना मिली तो मैं मर जाऊंगा"

इन्हीं ख्यालों में चक्षु खोया है कि काजल नाॅक कर रही है बार-बार, तभी उसकी तन्द्रा  टूटी तो कुर्सी से खड़ा होकर स्वयं ही आफिस का दरवाजा खोलने आता है।
लेकिन ये क्या, कागल को देखते ही उसपर घड़ों पानी पड़ जाता है, बला का हुस्न और आंखों को चुभता, नाम से मेल खाता काजल जैसा ही काला रंग। 
मगर दिल कहां मानता है जनाब, अब आ गया तो आ गया।
अब ना उगले बनता है ना निगले, फांस गले में फंस गई, इश्क कर बैठे जनाब काले हुस्न से, रोज़ मन को समझाते, फिर रोज़ वही जद्दोजहद, कि जीना तो काजल संग, मरना तो काजल संग। 
आखिर मन को कब तक लालीपाप खिलाते, अड़ गया ज़िद्द पर, जैसे ही काजल सामने आए तो हिलौरें लेने लगे, ऐसा लगे मानो अभी उछलकर सीने से बाहर आ जाएगा, और जाकर काजल के कदमों से लिपटकर प्यार की भीख मांगेगा। 

14 फरवरी का दिन आफिस में आज काम बंद बस सिर्फ पार्टी, हर साल आजके दिन किसी ना किसी की लाटरी निकलती अर्थात कोई ना कोई खुलकर सामने आता, अपने इश्क का इज़हार करता और शादी के पवित्र बंधन में बंध जाता, मगर आज अभी तक कोई भी नहीं सामने आया। पार्टी पूरे जोश पे थी, जाम से जाम टकरा रहे थे, धीमा- धीमा रोमांटिक म्यूज़िक बज रहा है,  हर कोई अपने प्यार की बाहों में झूल रहा है, चक्षु और काजल ही हैं जो बस अकेले हैं।
अचानक म्यूज़िक बंद हो गया और चक्षु ने एक हाथ में माइक और एक हाथ में गुलाब का फूल लिया और सीधे आकर काजल के कदमों में घुटनों के बल बैठ गए, "काजल, आई लव यू"
"अगर तुम मुझे अपने लायक समझो तो मेरा हाथ थामकर ये रोज़ स्वीकार करो" 
काजल सहित सभी आश्चर्यचकित चक्षु को देखें जा रहे हैं।
" काजल और चक्षु का मिलन तो सदियों पुराना है, काजल के बिना चक्षु की चमक फीकी है" 
काजल को कुछ समझ नहीं आ रहा ये क्या हो गया, ये कैसा इश्क है, और वो उसमें सराबोर होकर चक्षु को बेताहाशा चूमे जा रही है।

#इश्क_ना_देखे_जात-पात_इश्क_ना_देखे_रंग_रूप#
#इश्क_करने_वाले_धूप_में_देखें_छांव,_छांव_में_देखें_धूप"

प्रेम बजाज ©®
जगाधरी (यमुनानगर)
Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर रचना कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

14 मई 2022

prem

prem

14 मई 2022

धन्यवाद 🙏🌹, मैम प्लीज़ बताएं आपकी रचना कैसे पढ़ें, शायद आपकी रचनाएं सशुल्क हैं, यदि तो आप लिंक भेजें 🙏

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रचनाएँ
कुछ कहते हैं ये किस्से
5.0
प्रेम, जुदाई, बदला , परोपकार, एवं शिक्षाप्रद कहानियां हैं इस पुस्तक में, एक बार अवश्य अवलोकन करें 🙏
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कभी उठाने के लिए धक्का देना आवश्यक होता है

4 मई 2022
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कभी उठाने के लिए गिराना भी पड़ता है आशु और आकाश दो भाई, आशु चिकित्सक की पढ़ाई का शौकीन मगर आकाश खेलप्रिय अधिक था, इसलिए पापा हमेशा यही कहते," मेरा आशु तो डॉक्टर बनेगा मगर आकाश इंटरनेशनल एथलीट बनेगा"

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स्ट्रेच मार्क्स

5 मई 2022
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स्ट्रेच मार्क्सपापा घर पर नहीं, इसलिए रीता को मां को किट्टी छोड़ने के लिए जाना था।रीता, " मां, कितनी बार कहा है जब मेरे साथ कहीं जाना हो तो साड़ी मत पहना करो""लेकिन क्यों"?"ज़रा देखो तो अपने पेट पर, क

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कल आज और कल

5 मई 2022
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कल आज और कलकल जैसा था, आज वैसा है, कल ऐसा नहीं होने दूंगी। मेरी पोती ( बिन मां की बच्ची है ) बड़ी हो गई है, कालिज खत्म हो गया उसका, नौकरी करना चाहती है, उसके पापा, दादा ने कहा, "लड़की की कम

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अपने दम पर

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अपने दम पर आरती के पापा की स्टील फैक्ट्री शहर की नामी फैक्ट्रियों में गिनी जाती थी, आराधना और आरती दो बहनें, आरती बड़ी है, आराधना अभी बी.ए. लास्ट सेमेस्टर चल रहा था और आरती की सागर सगाई हो गई।&nb

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रिश्ते

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रिश्ते आज मैं रिश्ते निभाने पर कुछ बात कर रही हूँ । दोस्तों हर इन्सान का अपना नज़रिया होता है , अपनी राय,या कहिए कि हर इन्सान की अपनी सोच है ।..... रिश्तों के बारे में मेरी सोच ये ह

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8 मई 2022
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मेरी मां ( मेरी प्रेरणा)मेरी मां इश्वर का रूप है, गुरू है , सहेली है, प्रेरणा है मेरी। क्या संज्ञा दूं मां की, ऐसा तो कोई शब्द ही नहीं बना जो मां की व्याख्या कर सके।कहते हैं जब ईश्वर ने सं

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मत बांटो इंसान को"आकाश क्या सोच रहे हो, तुमने अपने माँ-पापा से बात की हमारे रिश्ते की""नहीं रेखा अभी नहीं पापा बहुत गुस्से वाले हैं , नहीं मानेंगे माँ से बात करने की कोशिश करता हूँ , शायद माँ कुछ हल न

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झूठी इज्ज़त

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झूठी इज्ज़तआकाश एम.ए.फाईनल ईयर में था, अचानक व्यापार में बहुत बड़े नुकसान की वजह से हार्टअटैक से पिता की मृत्यु हो गई, आकाश की अभी कोई नौकरी नहीं लगी थी, सारा बोझ आकाश पर आ गया।क्रिय

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कर्म फल

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शकआरिफ, रिया की आज सुहागरात है, दोनों बहुत ही खुश हैं, लेकिन अगले ही दिन से आरिफ रिया से दूर रहने लगा, ना तो उससे अधिक बात करता और नि ही उससे पति-पत्नी वाला रिश्ता निभाता, रिया परेशान थी, कि आखिर एक र

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16 मई 2022
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खोल दिया साहब राशिद खान को जैसे ही स्ट्रेचर से उतारकर रखा उसके जिस्म में दर्द की लहर उठी, उसे लगा जैसे किसी ने उसके जिस्म की एक-एक हड्डी तोड दी हो, हिलना-डुलना बहुत मुश्किल लग रहा था, फिर भी हिम्

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काश मैं दूबारा मां बन पाती सावित्री का बेटा-बहू दोनों पढ़े - लिखे ऊंचे ओहदे पर कार्यरत, शादी को पांच साल हो गए लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं, दोनों कहते हैं कि अभी उन्हें अपना करियर बनाना है,

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मर्दानगी का सबूतअजीत शाह आगरा की मशहूर 'शाह शूज़ फैक्टरी' के मालिक अपने आफिस में बैठे हैं और उनके पास शहर की दूसरी नामी फैक्ट्री मेहरोत्रा शूज़ फैक्टरी' के मालिक अशोक मेहरोत्रा मिलने आते हैं, दो

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22 मई 2022
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*क्या सोलह सिंगार सचमुच सौभाग्य की निशानी है या महज दिखावा* ?सोलह सिंगार आज के नहीं देवलोक से चली आई परमपराएं हैं, जब से सृष्टि का जन्म हुआ पुरुष ने सदा स्त्री को शृंगारित रूप में देखना पसंद किय

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एक प्यार ऐसा भी

25 मई 2022
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एक प्यार ऐसा भी देश की राजधानी या यूं कहें कि भारत का दिल दिल्ली।दिल्ली का एक खास इलाका जिसे कूड़े का कुतुबमीनार भी आप कह सकते हैं।जी हां आपने सही पहचाना, ये है दिल्ली का गाज़ीपुर इलाका। कुत

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