चारदीवारी के सहारे पड़ा वो छत,
बहुत सारे राज दिल में लेता है रख।
हम वैसे तो किराएदार है या यूं कह सकते है बंजारा, तो ये बात तो मामुलन है कि हमारा अपना कोई घर या अपनी कोई छत नहीं पर जहां जहां हमने वास किया है अर्थात् जिस जिस घर में हम रहें है, उन सभी छतों की यादें इस दिल में संजो के रखा हूं, उन सभी यादों में से एक प्यारा का किस्सा ले कर आया हूं मै आप सब के लिए और इस दफा मै बता देता हूं कि लगभग पूरी दास्तां काल्पनिक हो सकती है अर्थात किसी व्यक्ति विशेष से कोई संबंध नहीं और अगर संबंध होता है तो मात्र इसे एक संयोग माना जाएगा, पर अगर आपकी कहानी और मेरी कहानी मिलती जुलती है तो खुशी मनाओ कि मेरे द्वारा लिखी गई हैं! तो मै शुरू करता हूं।
सांझ का वक्त था,लगभग अंधेरा हो चुका था और जेठ की भीषण गर्मी पड़ रही थी,पूरा बदन पसीने से तर बतर था; ना पंखा किसी काम का था और ना ही बिजली अा रही थी,पूरे कस्बे में । हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है कि ये जो बिजली विभाग वाले है ना,वो ससुरे गर्मी में और अधिक लाइट काटते है: हां तो आज का दिन ही कुछ ऐसा था! मै सौम्य , मेरी बड़ी बहन सौम्या और छोटी बहन सुहाना; तीनों बैठ कर लूडो खेल रहे थे और मा पापा बैठ कर आपसे में बात कर रहे थे और एक सच्चे भारतीय होने का फ़र्ज़ बिजली विभाग को गाली देते हुए दर्शा रहे थे।
मै कुछ बातें परिवार के बारे में बता देता हूं जिससे आपको अंदाजा हो सकें कि आगे जो कुछ भी होने वाला है,उसमे सबसे बड़ा हाथ किस चीज का है;
मै सौम्य 24 साल का, सौम्या 26 साल की और सुहाना 18 साल की।हमारी मां पापा की शादी हुए पूरे 28 वर्ष हो चुके थे और जब मम्मी और पापा की शादी हुई थी तो पापा हमारे 25 साल के थे और मम्मी थी 17 साल की,मतलब दोनों की उम्र के बीच आठ साल का बड़ा अंतर था और एक फर्क और भी था वो ये, कि पापा बचपन से गांव में पढ़े थे और मम्मी शहर की थीं पर हमारे बाबा और हमारे नाना ने ही इनकी शादी करवा दी थी और शहर में बसा दिया था।
अब मै आज में आता हूं जहां हम भाई बहन खेल रहे थे और पापा मम्मी बातचीत कर रहे थे कि पापा के पास बुआ का कॉल आया तो बुआ ने बताया कि उनकी छोटी बेटी सुमन (23साल की) की शादी तय हो गई है और ठंड में शादी होगी। पापा ने बढ़ाई दिया और फोन रख कर मम्मी को सारी बातें बताने लगे! शादी की बात सुन कर मां पापा पर भड़क गई और कहने लगी! सबका लड़का मिल जाएगा पर सौम्या के लिए लड़का नहीं मिलेगा ना।
पापा ने धीमे स्वर में मम्मी से कहा - अरे भाग्यवान,मिल जाएगा! क्यों चिंता करती हो।
मम्मी पापा कर और चढ गई - अरे ऐसे कैसे मिल जाएगा,पेड़ में उगता है क्या, ढूंढेंगे तो मिलेगा ना; सब ढूंढ़ लेते है और एक तुम हो की ,एक काम भी नहीं ढंग से कर पाते।
पापा भी गुस्सा कर बोले - तुम अपनी जुबान को लगाम दो,बहुत बोल देती हो तुम।
मम्मी बोली - हां तो,हमारी शादी 17 में हो गई थी! सौम्या 26 की हो गई है,उसकी शादी कब होगी।
पापा बोले - वो कोई और जमाना था,आज कोई और जमाना है, तुम पढ़ी लिखी हो कर भी ऐसी हो। बोली किसी सर बांध दे अपनी बेटी हां।
मम्मी झुंझलाते हुए बोली - हां तो बैठाओ और खिलाओ तुम दोनों बाप बेटवा,ठीक है! जमाना जब पूछेगा तो जवाब देना,कहीं ऐसा ना हो किसी के साथ भाग जाए।
पापा हाथ उठाते उठाते रह गए और बोले - अपनी ज़बान क्यों नहीं संभालती तू,तुझे समझ नहीं आता बच्चे बैठे है सब,क्या असर पड़ेगा बच्चो पर! इतनी अक्ल नहीं है क्या तुझे,तू क्या पढ़ी है जा कर हैं बोल।
मम्मी भुनभुनाती हुई बोली - जा ,जो करे का हो करा।
ये सारा दृश्य हम तीनो देख रहे थे,जिसे देख सौम्या रोने लगी; उसको रोता देख मेरा पारा गरम हो गया।
मै बोला - सौम्या,तुमने कोई लड़का देखा है। बुलाओ उसको,कल ही शादी होगी।
सुहाना बीच में बोली - भैया ,अब तुम ना शुरू हो जाना।
मै बोला - छोटी हो, छोटी रहो; अम्मा ना बनो।
मैं फिर बोला मम्मी पापा से - जाओ तैयारी करो शादी की,कोई भी लड़का मिलेगा ,आवारा पागल सा ,सब से कर देंगे हम लोग और कमाता हो तो ठीक ना हो तो भी ठीक, कम से कम सौम्या की बेंच कर खा तो जाएगा, तुम लोगों का बोझ हो गई है ना मेरी बहन। इतना महाभारत रामायण और भागवत देखते हो,कम से कम उससे तो कुछ सीखो! मतलब सिर्फ दूसरो को ज्ञान देना आता है,उन्हे खुद कर लागू नहीं होता है ना। बहुत गाती हो ना कि जो होता है भगवान करता है; अरे तो अपने घर में क्यों नहीं लागू करती हो; सुबह शाम सिर्फ यहीं बात यहीं बात,दिमाग पंचर कर दें बच्चो का।
मै सौम्या से बोला - मत रो बिटिया, तेरी शादी कल ही होगी।
ये बोल कर मै चुप हो गया।
मेरे अंदर के इस तूफान के बाद चारो और सन्नाटा ही सन्नाटा था,किसी ने कुछ भी नहीं बोला। सिर्फ एक दूसरे को देख रहे थे और कुछ सोच रहे थे।
मैं फिर थोड़ा शांत हो कर बोला - यार कम से कम जब मै आया करूं,तब तो प्रेम से रहा करो। और एक बात और कि अगर लड़का ढूंढा जाएगा तो ज्यादा बड़ा नहीं सिर्फ एक या दो साल का अंतर! हम को अपने घर जैसी स्थिति नहीं बनानी किसी के घर की।
मै फिर बोला - अगर शादी होगी तो बराबर की होगी,वरना नहीं होगी; बराबरी से मतलब हर चीज में बराबर! जमीन से लेकर पढ़ाई तक, सब चीज बराबरी का,,,,,बिना बराबरी कुछ भी नहीं।
मुझे दो जिंदगियां और उससे उत्पन्न होने वाली बाकी जिंदगियां बर्बाद नहीं करनी है।
मेरे इस भाषण के बाद किसी ने कुछ नहीं बोला और मेरी राय से ही लड़का ढूंढा गया,दीदी की शादी भी धूमधाम से हुई और वो सुखी भी है।
मै इस कहानी के जरिए बस ये बताना चाह रहा की अगर कहीं भी रिश्ता करो तो बराबरी का करो,चाहे वो उम्र हो पढ़ाई हो या फिर जमीन जायदाद या फिर समाज की स्थिति। इस बराबरी के ना होने के कारण ही आज कई परिवार बर्बाद हो जाते है जिससे उनका वंश का नाश हो जाता है।