लिखा ओंकार ने कभी
बैठकर इक दिन सच में मानव तूँ इक दिन हैरान होगा
रुकेंगी बसें विमान ट्राम और रेलें बंद पलों में
सारा सामान होगा
लिखा ओंकार ने कभी बैठकर इक दिन सच में मानव तूँ
इक दिन हैरान होगा
पक्षी चहकेंगे सुखी साँस होगा प्रदूषण रहित तब
सारा संसार होगा
पाताल धरती पानी आकाश पर काबज कैद घर में इक दिन
इंसान होगा
खब्बीखान कहलाता विज्ञान इक दिन आँखें फाड़ देखता
बेसुध असहाय बेहाल होगा
सर खुजलाने का था न जिसके पास समय कभी फूँक मेरी
एक से बेकार संसार होगा
मौत के जादू से मेरे डरकर इक दिन इकट्ठा वेद
ग्रंथ बाइबल कुरान होगा
आस्तिक नास्तिक सभी निपटेंगे फिट ब्रह्म ज्ञान है
यही किस्सा बीच जहान होगा
लिखा ओंकार ने कभी बैठकर इक दिन सच में मानव तूँ
इक दिन हैरान होगा
गुस्सा कर मत पर सोचना जरुर किसका फायदा और किसका
नुकसान होगा
लिखा ओंकार ने कभी बैठकर इक दिन सच में मानव तूँ
इक दिन हैरान होगा
विजय कुमार शर्मा की अन्य किताबें
मैं राजनीति शास्त्र एवं हिंदी में एम.ए हुं, अपने विभाग में यूनियन का अध्यक्ष रह चुका हुं, जिला इंटक बठिंडा का वरिष्ठ उप प्रधान रह चुका हुं, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, बठिंडा एवं भुवनेश्वर का सदस्य-सचिव रह चुका हुँ, वर्तमान में अखिल भारतीय कर्मचारी भविष्य निधि राजभाषा संघ का सलाहकार हूँ, आयकर विभाग में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत रह चुका हुँ, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर हिंदी मामलों से संबंधित विशेषज्ञ पेनलों एवं हिंदी संगोष्टियों का हिस्सा रह चुका हुं, अलग-अलग नाम से विभागीय और नराकास की 12 से भी अधिक पत्रिकाओं का संपादक रह चुका हुँ, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से राजभाषा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात जुलाई, 2019 से बतौर परामर्शदाता कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में तैनात हूँ, 05 वर्ष तक श्री साईं कॉन्वेंट स्कूल, अमृतसर के प्रधानाचार्य का पद संभाला और कुछ समय तक एनडीएमसी, दिल्ली के सोशल एजुकेशन विभाग के कौशल विकास अनुभाग का कार्य भी देखा। मनसुख होटल और करतार होटल अमृतसर का प्रबंधक रह चुका हूँ , भाषाकेसरीओएल के नाम से मेरा यूट्यूब चैनल है और स्वयं की ओर से लिखित पुस्तकों का लेखक भी हूँ ।D