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चिंगारी

17 नवम्बर 2020

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चिंगारी

यह कविता नहीं,
चिंगारी है...
फिर दिल दिल से
जाग उठेगी
राष्ट्र पुरुष को
स्मरते, स्मरते
इसकी अन्तिम सास रुकेगी ।। धृ ।।

यह शब्दों का खेल नहीं
ना कोई मनोरंजन की धारा
यह स्मरण है सब उनका
जिनका,
राष्ट्र समर्पित जीवन सारा ।। १ ।।

यह विचारोकी धारा है
राष्ट्रधर्म कि ज्वाला है
व्यक्ति समष्टि का, होगा मिलन
एकात्म करेगी मानव जीवन ।। २ ।।

यह मार्ग उज्वल
ध्येय की अोर निरंतर
क्षण क्षण जीवन
हो राष्ट्र समर्पण
पुनर्स्थापित करेगी यह
राष्ट्र का परम वैभव

रचनाकार
©️ कवि शशांक कुलकर्णी

( यह कविता शशांक कुलकर्णी लिखित ' नाद आंतरिचा ' इस कविता संग्रह से लियी गई है। )

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चिंगारीयह कविता नहीं,चिंगारी है...फिर दिल दिल सेजाग उठेगीराष्ट्र पुरुष को स्मरते, स्मरतेइसकी अन्तिम सास रुकेगी ।। धृ ।।यह शब्दों का खेल नहींना कोई मनोरंजन की धारायह स्मरण है सब उनकाजिनका,राष्ट्र समर्पित जीवन सारा ।। १ ।।यह विचारोकी धारा हैराष्ट्रधर्म कि ज्वाला हैव्यक्

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