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कविता

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एक गिलास पानी  'कविता' कभी वो है, कभी हम है। उसके बाद जो पानी कम है,  बशर्ते, पी नहीं सकते उसको,  इसी बात का गम है। गिलास तू अपना पानी बिखेर देता है,  जब मर्जी आए, तब पानी रख लेता है। बता मेरे गिलास

अधूरे मन की आस

जंगल का देवता हूँ मैं, प्रकृति का रक्षक हूँ मैं। यहाँ घने जंगलों में, मैं सदा निवास करता हूँ। मेरी आवाज आई धरती से, बारिश के पानी में घुलता हूँ। जंगल की हर जीवित चीज़, मेरे बिना अधूरा है रहता।

गुलाब के फूलों में जो सबसे खूबसूरत होते हैं, वह अपने रंग की वजह से लोगों के दिलों में रहते हैं। लेकिन कुछ फूल होते हैं जो काले होते हैं, जो लोगों के मन में अजीब से ख़याल जगाते हैं। उनमें से एक होत

डरावनी काली बिल्ली रात के अंधेरे में, अपनी विशाल आंखों से सबको देती हैं डरावनी नजरें। जब वह भटकती हैं सड़कों पर, तो लोग उससे डरते हैं, क्योंकि उसकी काली त्वचा और भावों से भरी आंखें हैं उसके साथ। ब

गधे को तो कोई नहीं जानता है, वह भूरा और चौड़ा, भारी होता है। उसकी खुर्री फिसलती रहती है, फिर भी वह अपनी जगह से हटता नहीं है। एक दिन गधा सोते हुए था, आसपास खाली-खाली था। तभी वहां से एक कुत्ता गुज

धर्म का रक्षक बनना हमारा कर्तव्य है, पर राजनीति के खेल में अपना दिल न लगाये। धर्म दूसरों के लिए जीने की शिक्षा देता है, पर राजनीति अपने हित के लिए सब कुछ कर जाती है। धर्म ने जीवन को समझाया है, पर

मेरे शहर की यह बात तो नहीं ...मेरे गांव की यह बात है . . .यहाँ कोई दिवस तो नहीं मनाया जाता ...लेकिन मजदूरों को सताया भी नहीं जाता ...आज भी मजदूर मजदूरी करने जाएंगे ...शहर के वासी मजदूर दिवस मनाएंगे ..

एक था ड्रैगन, बहुत बड़ा, बहुत ही ताकतवर। जमीन पर चलता था, हवा में उड़ता था, मुंह से आग उगलता था। ऐसा बताया था, एक बुजुर्ग ने। जिसकी हर बात थी, पत्थर की लकीर। पहले भी खोल चुका था, वो कई राज। आ

उड़ता हुआ मोरपंख नजर आता है, अद्भुत रंगों में सजा इसका सफ़र है। आसमान की ऊँचाइयों में लहराता है, अपनी कल्पनाओं का खुला दरवाज़ा है। ये मोरपंख किसी से नहीं डरता, आज़ादी का संदेश दुनिया को देता है।

देवता और असुर, ये दोनों थे अनेक,  अपनी शक्ति का उपयोग, करते थे दोनों चेतना से नेक। देवता सत्य, निष्कपट और निष्काम, असुर माया, मोह और काम में उलझे रहते थे व्यापक आराम। देवताओं की सभा में न्याय और श

एक दिन खरगोश और लोमड़ी, मिल कर घूम रहे थे आम की बाग़ में। खरगोश बहुत ऊँचे झाड़ियों के पास था, जबकि लोमड़ी नीचे घास के मैदान में थी। खरगोश बोला, "हमें अपने आप को स्वस्थ रखना चाहिए। दौड़ने और खेलने

बहुत सी चींटियां और मक्खियां होती हैं, गूंजती उनकी आवाज़ में होता हैं जीवन का सारा राज़। चींटी की चाल नाज़ुक होती हैं, वो भरती अपनी पेटी आशा से भरती हैं। इसके खिलौने बचपन की याद दिलाते हैं, कभी च

आसमान में फुर से उड़ती तितलियों की खुशनुमा आवाज़, प्रकृति के रंगों से सजी इन तितलियों की सौंदर्य का नाज़, खुली आसमान के नीचे अपनी नई दुनिया का निर्माण करती तितलियां, इनकी छोटी-छोटी पंखों से उड़ान भ

कुत्ता था एक खुश रहने वाला, घूमता फिरता जहाँ भी चाहता। उसे दोस्त चाहिए थे जी भर के, कुछ खास दोस्त जो हमेशा रहते। उसे मिली एक बिल्ली से रास्ता, जो सुन्दर थी और थोड़ी दुर्बल। कुत्ता सोचा कि उससे द

एक छोटी सी बच्ची थी, जो दिन भर खेलती थी। गिलहरी से वह खेलती थी, उसके साथ हमेशा रहती थी। उस बच्ची की नादान नैया, गिलहरी के साथ बहती जाती थी। गिलहरी को वह अपनी दोस्त मानती थी, बच्ची की हर खुशी मे

छोटी चिड़िया छोटा घर, पंख लपलपाते उधर, फूलों के बीच उड़ जाती, फिर प्यारी सी आवाज़ बनाती। चिर-चिर-चिर, क्या करती हो, ढूँढ रही हो अपना शोर, क्या ढूँढती हो इतनी शक्ति, स्वर्ग की आपर्णा या संसार की

आसमान की ऊँचाइयों में उड़ता था बाज़, जो समझता था कि वह आसमान का ही राजा है। उसकी निगाहें थीं चाकू, और नज़र थी तेज, जैसे वह किसी भी शिकार को देख सकता है अंत तक। उसके पंखों में थी शक्ति और ताकत, और

धरती के गोद में घुमता था एक सर्प, अपनी लम्बी बड़ी चाल में था अधिक अभिश्रांत। उसकी आँखों में था कुछ अनोखा सा तेज, जैसे वह जानता हो कि उसका खेल ज्यादा भयानक होगा। उसने कुछ देर चलते हुए एक चूहे को पक



दिलो में रखो श्याम  करते रहो राम-राम
कोई  बोले  सलावलेकुम  

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