इस दुनिया से नहीं है लड़ाई मेरी
ख़ुद से ही एक द्वन्द है
कभी भीतर के कौतुहल से
तो कभी बेचैनी और घबराहट से
कभी बीते हुए कल से
तो कभी आज से
तो कभी आने वाले कल से
कभी दिल की दिमाग़ से
तो कभी विचारों की भावनाओं से
कभी ख़्वाबों की हक़ीक़त से
बस होता रहता टकराव है
कभी हार कर भी जीत है
तो कभी जीत कर भी हार है
यह द्वन्द मेरा ख़ुद से है
यह द्वन्द मेरा ख़ुद से है
२२ अप्रेल २०१७
जिनेवा