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गीत

26 फरवरी 2022

24 बार देखा गया 24
कौन मुझमे झर रहा है पतझरो का नाम ले कर
चल पड़ी पुरनम हवाएँ फिर तनिक आराम ले कर
थाप देती है दिशाएँ  गन्ध वाले जाम ले कर
रँग बसन्ती बह रहा है
कुछ कथाएं कह रहा है
मौन भी चुप की सकल ही
अब व्यथाएँ कह रहा है
आ गया जैसे के मौसम गुल गुलो गुलफाम ले कर
प्रित वाले रँग लुटाए आज राधा श्याम ले कर
कौन मुझमे झर रहा है पतझरो का नाम ले कर

मुकेश सोनी सार्थक

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कौन मुझमे झर रहा है पतझरो का नाम ले करचल पड़ी पुरनम हवाएँ फिर तनिक आराम ले करथाप देती है दिशाएँ गन्ध वाले जाम ले कररँग बसन्ती बह रहा हैकुछ कथाएं कह रहा हैमौन भी चुप की सकल हीअब व्यथाएँ कह रहा हैआ

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