ॐ सहनाववतु । सहनौ भुनक्तु । सहवीर्य करवावहै ।
तेजस्विनावधीतमस्तु
मा विद्विषावहै । - कृष्ण यजुर्वेद
हम सब
साथ मिलकर कार्य करें, साथ मिलकर अर्थात एक दूसरे के प्रति स्नेह की भावना मन में रखते
हुए भोग करें, साथ मिलकर शौर्य करें, हमारा अध्ययन तेजस्वी हो, किसी प्रकार का
द्वेष भाव मन में न हो... कृष्ण यजुर्वेद की इसी उक्ति के साथ सभी को गणतन्त्र
दिवस की अनेकशः हार्दिक बधाई... स्वागत है आप सबका हमारे आज के इस काव्य संकलन
में... इन पंक्तियों के साथ...
गणतन्त्र दिवस
फिर आया है, कुछ नया संदेसा लाया है ।
भारत के हर एक कण
कण ने कुछ नया राग अब गाया है ।।
हम आतंकों से
जूझे हैं, पर हार न हमने मानी है ।
कोरोना को भी
हमने हँसते हँसते दूर भगाया है ।।
है तब ही तो
परिधान नया धरती ने वासन्ती धारा ।
और साज सजा है
नया नया, कुछ नया राग गुँजाया है ।।
है देश मेरा ऐसा
जिसमें हैं रंग रंग के पुष्प खिले ।
उन सबसे मिलकर
बना हार भारत माँ को पहनाया है ।।
इसके आँगन में
लहराती नदियों ने नृत्य दिखाया है ।
गंगा यमुना
कावेरी ने सागर संग रास रचाया है ।।
हर कोई
कर्मप्रधान रहे, हों चाहे कितने भी तूफां ।
हर जीवन में मधुमास
रहे, संकल्प सभी ने पाला है ।।
जनं
बिभ्रती बहुधा विवाचसं, नाना धर्माणां पृथिवी यथौकसम् |
सहस्रं
धारा द्रविणस्य मे दुहां, ध्रुवेव धेनु: अनपस्फुरन्ती || - अथर्ववेद
विविध
धर्मं बहु भाषाओं का देश हमारा, सबही का हो एक सरिस सुन्दर घर न्यारा ||
राष्ट्रभूमि
पर सभी स्नेह से हिल मिल खेलें, एक दिशा में बहे सभी की जीवनधारा ||
निश्चय
जननी जन्मभूमि यह कामधेनु सम, सबको देगी सम्पति, दूध, पूत धन प्यारा ||
हमारे
वैदिक ऋषियों ने किस प्रकार के परिवार, समाज और राष्ट्र की कल्पना की थी - एक
राष्ट्र एक परिवार की कल्पना – ये कुछ मन्त्र इसी कामना का एक छोटा सा उदाहरण हैं
| वैदिक ऋषियों की इस उदात्त कल्पना को हम अपने जीवन का लक्ष्य बनाने का संकल्प
लें और सब साथ मिलकर गणतन्त्र दिवस का उत्सव मनाएँ... सभी को गणतन्त्र दिवस के इस
महान पर्व की हार्दिक बधाई के साथ प्रस्तुत है WOW India और साहित्य मुग्धा
दर्पण का एक सम्मिलित प्रयास... कवयित्री संगोष्ठी... जयहिन्द... वन्देमातरम्... डॉ पूर्णिमा शर्मा...