श्वेत चादर मेरी कृष्ण बन गई ll
हर बात मेरी एक प्रश्न बन गई l
अश्रुओं ने कही जिंदगी की कहानी,
शत्रु बन गए चक्षु और पानी,
जिंदगी से लड़ता रहा मौत से ना हार मानी,
त्रासदी भी मुझे छूकर एक जश्न बन गई l
हर बात मेरी एक प्रश्न बन गई l
श्वेत चादर मेरी कृष्ण बन गई ll
अधरों की मूक स्वीकृति को मैंने पहचाना,
सभ्यता की करुण व्यथा को मैंने जाना,
जिंदगी में लुटता ही रहा, फिर भी त्याग का संकल्प ठाना,
विपदा भी मुझ से टकराकर एक रस्म बन गई l
हर बात मेरी एक प्रश्न बन गई l
श्वेत चादर मेरी कृष्ण बन गई ll
अखिल ब्रह्मांड ने मेरे सम्मुख लघुता मानी,
सागर ने भी निज गहराई कम ही मानी,
प्रकृति के नरम गालों पर लिखी मैंने अमर अमिट कहानी,
फिर भी संपूर्ण जिंदगी एक प्रश्न बन गई l
हर बात मेरी एक प्रश्न बन गई l
श्वेत चादर मेरी कृष्ण बन गई ll