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उल्फत

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ना तेरा रहा ना मेरा रहा। प्रेम में हिसाब-किताब रखने का ना बहिखाता तेरा रहा, ना मेरा रहा। दौर जिंदगानी का बितता रहा, ना ईष्र्या रही ना द्वेष रहा। अपनेपन का अहसास कुछ तुझमें बाकी रहा, कुछ मुझमें बाकी रहा। चंद सांसें एक दूजे में उलझ जाये, रिश्ता ये उल्फत का सितम बन कर जहने सहर से टकराता रहा। थाम ले जो

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