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थ्रिलर

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डरावनी रातजाड़े के महीने की उस भयंकर रात को भी मेरे सिर के ललाट पर पसीने की मोती जैसी बूँदें बरस रही थी। नहीं! वह पसीने की बूंदें गर्मी की वजह से नहीं बल्कि डर की वजह से था। मेरा नाम धरमा है, दिसंबर म

फिर वही सपना bath tub से बहता हुआ पानी और कोई मदद के लिए चीख रहा हो, जैसे कोई डूब रहा हो मेरा अपना और जैसे ही वो बचाने जाती है bath tub को देखकर जोर से चिल्लाती है और हमेशा की तरह ईशानी चौक कर उ

मां मुझे डर लगता है . . . . बहुत डर लगता है . . . . सूरज की रौशनी आग सी लगती है . . . . पानी की बुँदे भी तेजाब सी लगती हैं . . . मां हवा में भी जहर सा घुला लगता है . . मां मुझे छुपा ले बहुत डर

नॉक नॉक !! प्रसाद जी बार बार कानों में पड़ती आवाज से आखिर बिस्तर छोड़कर उठ गए, उठते ही दो क्षण को बिस्तर पर बैठे बैठे ही अंदाजा लगाया कि आवाज बाहर के दरवाजे से आ रही है| फिर वही आवाज नॉक...नॉक.... “हाँ

             आज की कहनी शायद मेरी आखिरी कहानी होगी, वैसे उम्मीद करती हूँ मेरे साथ आपने भी भूतों का सफर एजॉय किया होगा, मैं ये नहीं कहती की मेरी कहानी बेस्ट है पर ये

          सोच रही हूँ आज में आपको कौन सी कहानी सुनाऊ भूतों की कहानी के पोटली में से, वैसे तो मैनें बचपन में अनगिनत भूतों कहानियाँ सुनी है, उनमें कितनी सच और कितनी झूठ मैं सच म

              आज मैं जो कहानी सुनाने जा रही हूँ वो मेरे दिल के बहुत करीब है, क्यूँकी इसके एक हिस्से में मैं भी हूँ, आज भी जब सोचती हूँ तब वो मुझे हुबहू सामने दिखाई

            आज फादर्स डे है, तो आप सभी को और आपके पापावों को फादर्स डे की ढेेरों बधाईया, वैसे सच में माँ के बुनियाद पर इमारत रचने का काम तो पापा ही करते है। पर फिर भी ना

                  ये कहानी में थोडी बहुत मेरी बचपन की यादों से जूडी है। बचपन में हम एक प्यारे से माहौल में अपने ननिहाल के पास रहते है। नाम बदलकर एक शहर मोह

                वैसे तो भूतों की कहानियाँ बता रही हूँ आपको तो बहुत कुछ मुझे भी याद आता जा रहा है, हालांकि सच में मैं इतनी भाग्यशाली तो नहीं की भूतों से आमने साम

सुबह हो चुकी थी । राजन की आंख  खुली तो वह अपने बिस्तर पर पड़ा हुआ था । उसे बीती रात की एक एक करके सारी घटनाएं याद आ गई । कल रात एक साथ दो दो भूतों के दर्शन हुए थे उसे । दोनों एक जैसे लग रहे थे ।

राजन अपने घर आ तो गया मगर उसका सारा ध्यान ताबीज में ही था । क्या ताबीज में कुछ कलाकारी है ? ऐसा क्या है उस ताबीज में जिससे भूत भी डरते हैं ? ये कैसे पता चलेगा कि क्या क्या होता है उस ताबीजमें ? इसे जा

राजन ने दृढ निश्चय कर लिया था कि चाहे जो कुछ हो जाये, वह उस मकान में ही रहेगा । मनुष्य जब सिर पर कफन बांध लेता है तो मौत भी सौ बार सोचती है कि वह इस आदमी का वरण करे अथवा नहीं ? दृढ संकल्प वाले व्यक्ति

           उम्मीद है मैं आपको जो भी कहानियाँ बता रही हूँ पसंद आयेंगे। कभी लिखा तो नहीं इससे पहले पर अब कोशिश कर रही हूँ लिखने की, आपके कमेंट के साथ स्टिकर भी अवश्य ही देन

            प्यार पर तो मैनें जाने कितना लिखा है, भर भर कर शेरो शायरीयाँ,  कविताऐ और गजल लिख डाली है मैंने, पर ऐसा नहीं की जिंदगी में मुझे आसपास प्यार ही दिखा है, पर

रोज की तरह सूर्यदेव सुबह सुबह घूमने निकले । सूर्यदेव जहां जाते हैं अपने साथ प्रकाश , ऊर्जा , आशा, विश्वास,  सकाराकता और जीवन लेकर जाते हैं । इस कार्य में पवन देव उनकी मदद करते हैं । सुबह सुबह पवन

                बहुत पुरानी बात है, करीबन मैं तब सात आठ साल की हूँवा करती थी, तब ज्यादातर हमारे नाना नानी का गाँव में  कोई आने जाने के लिए गाडी नहीं हूँवा

"सुंदर का ढाबा" जयपुर में एक जानी पहचानी जगह बन गई थी । यहां का खाना बड़ा स्वादिष्ट होता है । एक ब्रांड बन गया था "सुंदर का ढाबा" । सुंदर ने गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया था । "बढिया भोजन और मीठा व

राजन बड़ा आश्चर्य चकित था उस भूत के पदचाप की रिकॉर्डिंग को सुनकर । उसके मुंह से बोल नहीं निकले । कहीं उसका इस मकान को किराये पर लेने का निर्णय उसके लिए घातक तो सिद्ध नहीं हो जाएगा ? अब तक उसने सुनी सु

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■पिशाचिनी का प्रतिशोध ■ भाग 55             (पिशाचिनी सिद्धि)       (पिशाचिनीसिद्धि)______________________________________________________________

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