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पैदल

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जानू की बाते।कोरोना कोरोना सब कोई कहे, भूखा कहे न कोई।एक बार मन भूखा कहे, सौ दो सौ की भीड़ होए।मोदी अंदर सबको रखे, घर से बाहर न निकले कोई।मन की बात मोदी करे, सो बाहर उसकी चर्चा होए।मम्मी एफबी में लिपटी रहे, बेटा-बेटी बैठे टीवी संग।साथी शिकायत करने लगे,पापा नौकरी से आए तंग।एक बार सिंग्नल मिले, भीड़ स्ट

पैदल निकल गये हजारों लाखों लोग उसी पथ पर, जहां कोरोनावायरस के जीवन और उन पथगीरों के मौत के निशान हैं। क्यों निजामुद्दीन जैसे मकतब, मरकज हाटसपाट बन वायरस के, बढ़ा रहे कोरोना का फैलाव हैं? बार्डर, सरहद पर उतरी जनता, आने वाले खतरे से क्या अंजान है? कल तक जिस शहर को अपना माना, आज उसे छोड़ चल देना, इन स

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