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शरमा

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मीठी जुबान बनके कटार हुई मन के पार, जब मुंह ढककर अपने सामने आने लगें। क्या बेटी, क्या बहु, क्या प्रेमिका, क्या मइया, सब मुंह ढककर घर बाहर आने जाने लगें। रिश्तों का भंवर, बीमारी के कहर से शरमाने लगें। छाया ऐसा कोरोना का डर कि अपने भी, गले मिलने से घबराने लगे। दो गज की दूरी, दो गज की कोठरी से है भली।

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