ईश्वर की अद्भुत कृति “औरत”...
ख़ूबसूरती,
दृढ़ इच्छाशक्ति, विद्वत्ता और सद्गुणों का
एक बेहतरीन मेल “औरत”…
प्रेम,
स्नेह, सम्मान, उमंग, उछाह और उत्साह
का
एक बेहतरीन मेल “औरत”…
क्योंकि ईश्वर ने अपनी इस अद्भुत कृति की रचना
ही की है
निर्माण के लिए,
सृजन के लिए, सम्वर्धन और पोषण के लिए
मानवमात्र के मार्ग दर्शन के लिए…
जो असम्भव है बिना प्रेम और स्नेह का दान दिए
जो असम्भव है उमंग और उत्साह के भी बिना
नहीं होगी दृढ़ इच्छशक्ति / या नहीं होंगे गुण
तो कैसे कर पाएगी मार्गदर्शन
और ये समस्त कार्य पूर्ण सत्यता और निष्ठा के
साथ करती आ रही है नारी
हर युग में… हर काल में… हर परिस्थिति में…
आज वह पूर्ण दृढ़ता के साथ आवाज़ उठा सकती है
किसी भी प्रकार की अव्यवस्था के ख़िलाफ़…
आज वह किसी की अनुगामी नहीं
बल्कि स्वयं अपने ही पदचिह्नों की छाप छोड़ती
बढ़ रही है आगे
जिनसे दिशा प्राप्त हो रही है दूसरों को भी…
आज वह भीड़तन्त्र जा हिस्सा नहीं है
रखती है साहस और उत्साह नियन्त्रित करने का भीड़
को…
उसे नहीं है आवश्यकता माँगने को भीख अपने अधिकार
की
वह तो स्वयं है समाज की रचनाकार…
तभी तो जब अवसर मिलता है / झूम उठती है मस्ती
में भर
नाच उठती है अपने हाथ आकाश की ओर उठा
मानों भर लेना चाहती हो समूचे ब्रह्माण्ड को
अपनी स्नेह से कोमल किन्तु साहस से दृढ़ बाहों
में…