वाह भाई वाह ...
जीत जाते तो विराट- रोहित. हार गए तो मिस्टर कूल. एक्सपीरियंस के आधार धोनी की बेहतरीन इनिंग की बदौलत ही टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में जीत के नजदीक तक पहुंची. मिस्टर कूल पर उंगली उठाने वालों को समझना चाहिए वर्ल्ड कप में टीम इंडिया पार्टिसिपेट कर रही थी ना सिर्फ की धोनी. इतने महत्वपूर्ण मैच में आप सिर्फ पिच छूने गए थे या दर्शक दीर्घा में बैठकर मैच का मजा लेने.
जब भारत में क्रिकेट के प्रति दीवानगी आसमान छूती हो, तब करो या मरो वाले मैच में तू चल, मैं आया नहीं हो सकता. वो एक्सपर्ट ही क्या जिनके मौके पर फ्यूज उड़ जाए. धोनी थे तो जडेजा भी चल निकले, वरना हार के अंतर को समझा जा सकता है. दुश्मन को कमजोर समझने की गलती ही हार का कारण बनती है. क्रिकेट की दुनिया में पाकिस्तान से आगे भी कई देश है. पाक फतेह का मतलब वर्ल्ड कप नहीं होता है.
4 साल का इंतजार और करोड़ों फैंस की उम्मीदों पर सिर्फ 45 मिनट में न्यूजीलैंड ने पानी फेर दिया. कोई तो दम दिखाता, जिन्होंने दम दिखाया हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ना अच्छी बात नहीं. हार जीत तो लगी रहती है, ऐसा भी क्या कि महत्वपूर्ण मैच में गलती खुद करो और इल्जाम दिन पर लगा दो कि दिन ही खराब था