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"मनोकामना पूर्ण करने वाला खजराना गणेश मंदिर"

1 जून 2021

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मध्य प्रदेश का प्रमुख शहर इंदौर एक खूबसूरत शहर है और देश का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है | स्वछता की बात करें तो इंदौर पिछले कई वर्षो से भारत में स्वछता के मामले में नंबर एक होने का खिताब हांसिल कर रहा है | इंदौर शहर सुन्दर उदयानो, आकर्षक झीलों , आरामदायक झरनो , राजसी महलों और सदियों पुराने मंदिरों से घिरा हुआ है |


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इंदौर में खजराना क्षेत्र में स्थित गणपति मंदिर की काफी चर्चा है | आज, मंदिर मध्य प्रदेश में हिंदुओं के बीच अत्यधिक प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है। ऐसा माना जाता है की यहाँ प्रतिवर्ष लाखो भक्त आते है और दर्शन लाभ लेते है | खजराना गणेश मंदिर के दरबार में बहुत सी नामी गिरामी हस्तियां हाजरी लगा चुकी हैं | क्या आप जानते हैं कि यह उन कुछ मंदिरों में से एक है जिन्हें दान के रूप में हीरे और अन्य गहने प्राप्त होते हैं? इसलिए, यह राज्य के सबसे अमीर मंदिरों में से एकहै। मंदिर परिसर में आकर जो भक्त मन्नत का डोरा बांधता है उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है | आज खजराना के गणपति जी का आशीर्वाद इंदौर शहर के ऊपर बना हुआ है जिसके कारण इंदौर आज भारत के प्रमुख शहरो में शुमार है और मध्य प्रदेश की प्रमुख व्यवसायिक नगरी है |


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खजराना मंदिर का इतिहास –

अभिलेखों के अनुसार, खजराना गणेश मंदिर का इतिहास १८ वीं शताब्दी की शुरुआत का है जब यह क्षेत्र होलकर राजवंश के शासन में था। ऐसी मान्यता है कि होल्कर राजवंश कि रानी अहिल्या बाई होल्कर देश भर में विभिन्न मंदिरों के निर्माण एवं रखरखाव के लिए विख्यात थी | खजराना का गणेश मंदिर उन्ही का बनवाया हुआ है | स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यह कहा जाता है कि मंदिर की मूर्ति एक स्थानीय ब्राह्मण मंगल भट्ट के सपने में आई थी जो की एक कुएं में थी | ब्राह्मण के जागने के तुरंत बाद, उन्होंने अपना पूरा सपना अहिल्या बाई होल्कर को सुनाया। तब अहिल्या बाई होल्कर ने इसे निकलवाया और सन १७३५ में इस जगह पर स्थापित कराया | मंदिर में स्थापित श्री गणेश की मूर्ती की आँखें हीरे की हैं | गर्भगृह की दीवारें और छत चाँदी से मढ़ी हुई हैं |

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कोई भी नया काम हो तो शहर के लोग पहला बुलावा इसी मंदिर के श्री गणपति जी के नाम भेजते हैं | शादी , संतान , नौकरी के बाद दर्शनों के लिए आते हैं | नवजात शिशु को तुला में तौलकर इसके बजन के बराबर लड्डुओं का प्रसाद बाटनें की भी यहाँ परंपरा है |


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बुधवार के दिन मंदिर परिसर में काफी भक्त दर्शन लाभ लेते हैं और मन्नत का धागा अपने हाथ में बांधते हैं | गणेश चतुर्थी में मनाया जाने वाला गणपति पर्व काफी लोकप्रिय है | रात १२ बजे से सुबह ६ बजे तक गर्भगृह पूर्णतया बंद रहता है | गणपति जी के आलावा यहाँ साईं जी और शनि जी का मंदिर भी है और अन्य छोटे बड़े मंदिर है | यही कारण है की यहाँ आने वाले लोग ऐसा मानते है कि उन्होंने यहाँ आकर देव लोक में भ्रमण कर लिया और असीम शान्ति का अनुभव किया | इस मंदिर के बारें में सबसे प्रसिद्ध बात यह है कि यहाँ हर किसी की मनोकामना पूर्ण होती हैं | यहाँ मुराद मन में रखकर धागा बाँधने की प्रथा है और इच्छा पूर्ण होने पर यह धागा खोल दिया जाता है और वापस मंदिर प्रांगण में किसी स्वच्छ स्थान पर बाँध दिया जाता है, मंदिर प्रांगण में आने पर खम्बों में, रेलिंग में ऐसे लाखो लाल धागे बंधे मिलेंगे | खजराना के गणपति जी से मैं यहीं मनोकामना करता हूँ की इस महामारी के समय विश्व के सभी मानव जाती को सुरक्षित रखें और इस महामारी का जल्द से जल्द विनाश करें क्योंकि आप ही सबसे बड़े विघ्न विनाशक हो |सुरक्षित समय आते ही जरूर एक बार सपरिवार खजराना मंदिर के दर्शन अवस्य करें इन्ही शब्दो के साथ अपनी लेखनी को मैं विराम देता हूँ |

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